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उपसंहार
आ रोते पिस्ताळांश आगम दश अवशिष्ट सूत्रो ग्रंथो तथा वोश अवशिष्ट पयन्ना मळी एकंदर आजकालमा कुले पंचोतेर आगम मळया छे. उपरांत चौदपूर्वधारीकृत जे ग्रंथ होय ते आगमरूपे ज गणाय एम नादसूत्रमा जे कहलं छे तेने अनुसार चौदपूर्वधारो श्रीभद्रबाहुस्वामिकृत तमाम नियुक्तिओ आगमरूपेज रहेली छे ते नियुक्तिओमांनी बे नियुक्तिओ नामे पिंडानयुक्ति तथा ओघानयुक्ति तो पिस्तालाश आगममां ज गणाई गई छे अने संसक्तानयुक्ति अवशिष्ट आगममा नांधी छे. उपरांत तेमणे रचेली नीचे मुजबनी दश नियुक्तिओ छः
१ आवश्यकनियुक्ति २ दशवकालिकनियुक्ति ३ उत्तराध्ययननियुक्ति ४ आचारांगानयुक्ति ५ सूत्रकृतांगीनयुक्ति ६ सूर्यप्रज्ञाप्तनियुक्ति ७ वृहत्कल्पनियुक्ति ८ व्यवहारनियुक्ति ९ दशाश्रुतस्कंधनियुक्ति १० ऋषिभाषितनियुक्ति
आ दश नियुक्तिमांथी सूर्यप्रज्ञप्तिनी तथा ऋषिभाषितनी नियुक्ति मळी शकती नी एटले ते बाद करतां बाकीनी आठ नियुक्तिओ हमणा मळे छे तथा वधारामां कल्पसूत्रनी नियुक्ति पण मळी आवे छे एटले कुले नव सूत्रनी नियुक्तिओ ते ते सूत्रनी पंचांगीना नोधमा पूर्वे नोंधी छे. ते नवे नियुक्तिओने जो आगमरूपे गणिये तो कुले ८४ आगम थाय छे.
श्रीनंदिसूत्रमा पूर्वे ८४ आगम गणाव्या छे तेमां चोत्रीस सूत्र छे अने पचास पयन्ना छ, त्यारे हालमा मळी आवता ८४ आगममां एकताळीम सूत्र छे, त्रीश पयन्ना छ, बार नियुक्तिओ छे, अने एक महाभाष्य छे.