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________________ ४२ नंबर. ३५ 1. ३६ अवचूरि उद्वार नंदि मूळ चूर्णि नाम. लघुवृत्ति बृहद्वृति लघुवृत्ति टिप्पनक जैनागम लिस्ट. (विषमपदपर्याय ) सर्वसिद्धांत विषमपद पर्याय अवचूरि अनुयोगद्वार. मूळ श्लोक. कर्ता. ३२०० ज्ञानसागर १११ ७०० देवर्द्धिगणि १५०० २३०० हरिभद्र ७७३२ | मलयगिरि ३३०० श्रीचंद्र २५९५ श्रीचंद्र १६०५ | देव्यावसूरि १८९९ आर्यरक्षित रख्यानो संवत्. ७३३ + देवद्विगणिए वीरप्रभुथी ९९३ वर्षे एटलेके विक्रम सं. ५२३ मां सूत्रो पुस्तकारूट करता # आ बने ग्रंथ जूदा जूदा छे के केम ते विषे विचार करतां तेना कर्त्ता बीजी संख्या सरखीजं थई रहे छे ते परथी ते एकज ग्रंथ होय तो पण होय माटे ए एक होवाथी एम बाबत बन्ने ग्रंथना * चंचलवाना मंडारमा रहेली आ अवचूरिना अंते तेना कर्त्ता देव्यावसूरेि लखेल छे. पण ए + नहि पण देवसूरि होवु जोईये. ससूत्र
SR No.008418
Book TitleJain Granthavali
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJain Shwetambar Conference
PublisherJain Shwetambar Conference Mumbai
Publication Year
Total Pages504
LanguageGujarati
ClassificationBook_Gujarati & Catalogue
File Size7 MB
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