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________________ ३६ नंबर. 1 GUYS " " މ " अवचूरि नाम. ( शब्दार्थवृत्ति ) निर्युक्त्यवचूरि वृत्तिदपिका ३२ उत्तराध्ययन. मूळ निर्युक्ति गा. ६०७ चूर्णि वृहद्वृत्ति लघुवृत्ति वृत्ति जैनागम लिस्ट, लोक. २००० १८०० १२०० ३०३३ समयसुंदर पत्र ९ पत्र १११ माणिक्यशेखर ७०० ५८५० कर्ता. १६००० १२००० | १४२५५ शांतिदेव * सुधर्मस्वामी भद्रबाहु स्वामी गोवालिया महत्तर शिष्य शांतिसूरि + नेमिचंद्रसूरि भावविजय रच्यानो संवत्. अजमेर ११२९ १६७९ * शांतिदेव ने शांतिसूरि ते एकज छे के जुदा छे ते चोकस थयुं जोइए. अने जुदा साबित + जो के इहां गोवालिय महत्तरना शिष्य ते कोण ते संबंधे विशेष नाम आपेल नथी, पण अमारा छतां कोइ चोकस पुरावो मले तो वधु निर्णय थइ शके. आ शांतिसार ते थारापद्रगच्छीय वादिवैतालशांतिसूर छे के जेमना माटे येरे एवी नोंध एमनुं साधुपणामां देवेंद्रनाम हतुं पण तेओ सूरि थया त्यारे नेमिचंद्रना नामे ओलखाया छे. [ सैद्धांतिक शिरोमणि तरीके पंकाता हुता.
SR No.008418
Book TitleJain Granthavali
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJain Shwetambar Conference
PublisherJain Shwetambar Conference Mumbai
Publication Year
Total Pages504
LanguageGujarati
ClassificationBook_Gujarati & Catalogue
File Size7 MB
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