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________________ २८ नंबर. नाम. चेत्यवंदन चूर्णि चैत्यवंदन विवरण जनागम लिस्ट, लोक. ता. १७८ बृहच्चैत्यवंदन सटीक चैत्यसाधुवंदन श्राद्धप्रतिक्रमण वृति -- २००० चैत्यवंदनादिसूत्र साधुश्राद्ध प्रतिक्रमण पदपर्याय मंजरीओ ५०० पथिकी अवचूर्णि १५० वेत्यवंदनावचूर्णि वंदनकावचूर्णि चैत्यवंदना वंदनक प्रत्याख्यान वृत्ति ५५० चैत्यवंदनादिवृत्ति (कुलप्रदीप )! २४५८ ८४० ske कर्ता. सौभाग्य रत्नप्रभः । हेमचंद्र पार्श्वसृि अकलंकदेव यशोदेव तिलकाचार्य x [रच्यानी संवत्. १९७४ Dec. ९५६ ११७४ ● आ प्रत फक्त पाटणना एक भंडारमां ताडपत्र उपर लखायली देखाय छे माटे एनो अवश्य आ नाम केइक अपूर्ण जेवु लागे छे तेम ए संबंधे कंद ऐतिहासिक बिना नोधार नथी. पण + आ नाम आपतां भूल करेली लागे छे केमके सं. ११७४मां तो मुनिचंद्रसूरिए उपदेशपदनी टीका छे के जेमणे सं. १२३६ मां उपदेशमालानी टीका रवी छे माटे जेसलमेरनी टीप करनारे कर्त्तीना रवी छे तेज ए ग्रंथ होवो जोइए. ! आ प्रत डेक्कन कॉलेजना लिस्टमां नोंधी छे तो ते खास जोवी जोइए. पाटणनी टीपमां आ प्रत केवल श्राद्धप्रतिक्रमण वृत्तिना नामे नोंघेली छे अने तेमी लोकसंख्या अकलंकदेवसरिनो इतिहास मला शक्यो नथी. दिगंबरम अकलंक आचार्य थया ते अने! x तिलकाचार्ये सं. १२९६ मां आवश्यक लघुवृत्ति रची है. आवृति इपिनिकामां नोपी हे पण कानोधायला भंडारोमा उपलब्ध यह नया.
SR No.008418
Book TitleJain Granthavali
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJain Shwetambar Conference
PublisherJain Shwetambar Conference Mumbai
Publication Year
Total Pages504
LanguageGujarati
ClassificationBook_Gujarati & Catalogue
File Size7 MB
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