SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 437
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ अनुक्रमणिका. अक्षरानुक्रमवार अंथोना नाम. पृष्ठांक, अक्षरानुक्रमवार ग्रंथोना नाम. पृक्षांक भवभावना भवचूरि ९८५ । २५१ भवस्वरूप कुलक भवस्थितिस्तवन भावशतक (बीजुं) ___, (त्रीजु) , वृत्ति भावट्विंशिका , अवचूरि भवानीसहस्रनाम भविष्यदत्ताख्यान : १४९ भावसागर : ४८ भविष्योत्तरोदार भावना भव्यफुटुंब चरित्र भावना कुलक : भध्यकुमुदचंद्रिका टीका " (बीजं) २०१ भानुचंद्रकृत नाममाला भावनाद्वात्रिंशिका : १८३ भारतशास्त्र भावना प्रकरण : १८७ भारती १०८ नाम स्तवन भावनावृत्त महाकाव्य : ३३२ भाव छत्रीशी भावना शतक : भायदेवसूरिकृत यतिसामाचारी.... भावनासंधि : " वृत्ति भावार्थ शतक : भावप्रकरण भाषामंजरी : अवचूरि " वृत्ति भावविशुद्धि कुलक भाषारहस्य : भावशतक टीका : - " भुवनदीपक भावशतक : ३४८
SR No.008418
Book TitleJain Granthavali
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJain Shwetambar Conference
PublisherJain Shwetambar Conference Mumbai
Publication Year
Total Pages504
LanguageGujarati
ClassificationBook_Gujarati & Catalogue
File Size7 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy