________________
२९०
जैन औपदेशिक.
नाम.
श्लोक.
कर्ता.
त्या
क्या छ ?
वीतरागस्तोत्र
वृत्ति
४७४। हेमाचार्य રરર प्रभानंद A
नंदिसागर प्रभानंद विशाळराज सोमोदयगणि महेंद्रशिष्य मेघराज
पा.१ सुलभ्य. . वृ. पा. २-४-५ अ. २ पा. १-३
पत्र१८
पंजिका अवचूरि B अवधि (बीजी) अवचूरि (पीजी)
अवचूरि (चोथी) वीतरामस्तुति वीतरागनमस्कारस्तव वीतरागशतक .
___ वृत्ति १६१ वीरचरित्रस्तव (प्रा.)
वृत्ति १६२) वीरस्तव
htho
३८
जिनवल्लभ समयसुंदर
धनपाल
A आ प्रभानंदसूरि ते रुद्रपल्लीय देवभद्रसूरिना शिष्य अने चंद्रसूरि तथा विमल सूरिना गुरु हता.
B आ अवचूरि ते वखते प्रभानंदसूरिकृत वृत्तिज तो नहि होय ते माटे पाटणना भंडारमानी प्रत फरीथी तपासी जोवानी जरूर रहे छे.
___C आ वीरस्तव तेनी वृत्तिसाथै वृहटिप्पनिकामां नोध्यो छे, तेना मात्रै ते टिप्पनिकामां आकी रीते नोध छ " निम्मलनदेवि इति वीरस्तवस्य पं. धनपालकृतस्य वृत्तिः सूराचार्यकता २२५५