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________________ जैन औपदेशिक नंबर. नाम. २२० मरनाथस्तव डेक्कन. पत्ति वल्लभगणि ७ भईरस्तष (सं. गद्य) सिद्धसेन महत्सहस्रनामसमुश्चय पत्र ६ वृति पत्र ५७ ९ महत्सहस्रनामस्तोत्रपत्र ८ | देवविजयगणि १० अष्टादशस्तोत्र सोमसुंदर ___ अवधि |पत्र ४, सोमदेव १४९७ पा.४ प्रो. मणिलाल मष्टपंचाशस्तुति वृति सोमतिलक पा. ३-५ १२ भएप्रवचनमाला A (प्रा.) पत्र ६ प्रो. मणिलाल. आविजिनादिस्तोत्र । जयकेसरी मादिजिनस्तुति नगीनदास. आविदेवस्तवन (मंत्रजंत्र A.S. वृत्ति मादिनाथजगन्नाथस्तुति লী १५०० नरसिंह B . पा.४. कलित) पा.४ . A आ स्तोत्रनुं नाम ' अष्ठप्रवचन माता' एवं होय तो होय. प्रोफेसर मणिभाइए पोताना कोस्टमा अष्टप्रवचनमालाना नामथी तेनी नोंध करेली होवाथी तेज नामे तेने इहा नोंध्यु छे. F B आ नाम अन्यधर्मी जेवू लागे छे ते उपरथी मूळना कर्ता पण अन्यमतिज विशेष संभवी के. छतां नरसिंह ते कोण हता ते बाबत चोकस निर्णय आ वृत्तिनो प्रशस्ति लेख तपासवाथीज थी शके.
SR No.008418
Book TitleJain Granthavali
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJain Shwetambar Conference
PublisherJain Shwetambar Conference Mumbai
Publication Year
Total Pages504
LanguageGujarati
ClassificationBook_Gujarati & Catalogue
File Size7 MB
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