________________
नंबर.
शत्रुंजयकल्प
वृत्ति
नाम.
७ शत्रुंजयमाहात्म्य C
(गद्य)
भुंजयषोडशोद्धारवर्णन
संमेतशिखरमाहात्म्य
सिद्धचक्रस्तव
जैन औपदेशिक.
शत्रुंजयकल्प A
B
शत्रुंजयादित्रेसठतीर्थकल्प | ३५०३
१००२४
लोक.
गा.४७
6
१२५००
38
पत्र २९८ हंसराज
पत्र१६
२००० दि. दीक्षित देवद च
१२३७
११ स्वामिवात्सल्यमाहात्म्य E २०००
कर्ता.
धर्मघोष
शुभशील
पालित्तयसूरि
जिनप्रभसूरि १३८५)
धनेश्वरसूरि
B एना माटे वृइटिप्पनिकामां नीचे मुजब नोंष छे:
शत्रुंजयादि ६३ तीर्थकल्पाः सं. प्रा. १३८५
रच्या
नो सं.
क्यां छे १
पा. ३. ४.
| १५१८ पा. ५
वृ.
वृ.
पा. ३. ४. लीं.
भरूच.
भाव.
A. S.
A सदरहू कल्पो भद्रबाहुस्वामी रख्या वज्रस्वामी उधृत कर्या अने पादलिप्स सूरिए संक्षिप्त कर्या छे.
पा. ४
जेसल.
२७१
वर्षादौ जिनप्रभसूरिकृताः प्रसिद्ध
| तीर्थेतिवाच्याः ३५०३ "
C एना छ सर्ग छे. लॉबडनी ठीपमां तेना लोक बार हजार छे एम जणाव्युं छे.
D आदिगंबर दीक्षित देवदत्ताचार्य क्यारे थएला छे ते संबंधी कं वधु हकीकत मळी नथी,
E सदरहू मंथ जेसलमेरनी हीरालाले करेली टीपमां नोबेल होवाथी तेना माढेशक रहे छे.