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सहयोगसे संपन्न हुआ है। इसके मुद्रण का
अत्यन्त कठिन श्रमसाध्य था जो पंडितजी और सबके कार्य नया संसार प्रेस वाराणसी में ही हुआ है।
इस ग्रन्थको प्रकाशमें लानेका परम श्रेय आध्यात्मिक संत पूज्य श्री कानजीस्वामी को है, अतः आपका मैं अत्यन्त भक्ति पूर्वक आभार मानता हूँ।
इस ग्रन्थके संपादन आदि कार्यमें पं० श्री फूलचन्द्र सिद्धान्तशास्त्रीने असाधारण श्रम किया है, अतः मैं आपका भी आभारी हूँ।
___ व्यवस्थापक श्री नया संसार प्रेस, वाराणसीने नया टाइप बुलाकर सुन्दर ढंगसे इस ग्रन्थको मुद्रित किया अतः मैं आपका भी आभारी हूँ।
इस ग्रन्थको प्रकाशमें लानेका परम श्रेय आध्यात्मिक संत पूज्य श्री कानजीस्वामी को है, अत: आपका मैं अत्यन्त भक्ति पूर्वक आभार मानता हूँ।
इस ग्रन्थके संपादन आदि कार्यमें पं० श्री फूलचन्द्र सिद्धान्तशास्त्रीने असाधारण श्रम किया है, अतः मैं आपका भी आभारी हूँ।
इस ग्रन्थको प्रकाशमें लानेका परम श्रेय आध्यात्मिक संत पूज्य श्री कानजीस्वामी को है, अतः आपका मैं अत्यन्त भक्ति पूर्वक आभार मानता हूँ।
इस ग्रन्थके संपादन आदि कार्यमें पं० श्री फूलचन्द्र सिद्धान्तशास्त्रीने असाधारण श्रम किया है, अतः मैं आपका भी आभारी हूँ।
व्यवस्थापक श्री नया संसार प्रेस, वाराणसीने नया टाइप बुलाकर सुन्दर ढंगसे इस ग्रन्थको मुद्रित किया अतः मैं आपका भी आभारी हूँ।
संशोधन में ज्ञान-वैराग्यसंपन्न पं० श्री हिम्मतलाल भाई तथा हमारी संस्थाके अवकाश प्राप्त प्रमुख माननीय श्री रामजी भाई वकील का भी मैं आभारी हूँ। इन्होंने अपना अमुल्य समय देकर ग्रन्थकारके सर्व भावोंके संरक्षणमें पूरा योग दान दिया है। श्रीमान् खेमचन्द भाई व ब्र० श्री चन्दू भाई आदि अन्य जिन-जिन साधर्मी भाईयोंकी इस कार्यमें सहायता मिली है उन सबका भी मैं हृदयसे आभारी हूँ।
इस ग्रन्थकी कीमत कम करनेके लिए जिन-जिन महानुभावोंने उदारता पूर्वक साहायता की है उन सबका भी मैं हृदयसे आभारी हूँ।
__ अंतमें मैं भावना भाता हूँ कि श्री समयसारकलश टीकाके हार्दको समझकर अंतरमें तदनुरूप परिणमन होकर सर्व जिज्ञासुओंको निराकुल लक्षण उत्तम सुखकी प्राप्ति हो।
सोनगढ़ १५-४-६४ मंदिर ट्रस्ट
नवनीतलाल सी० झवेरी
प्रमुख श्री दि० जैन स्वाध्याय
सोनगढ़
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