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दीपावली : कुछ प्रश्नोत्तर
रक्षाबंधन और दीपावली भलीभाँति जानकर, उसके माध्यम से अपने आत्मा को पहिचान कर, उसी में अपनापन स्थापित कर उक्त तत्त्वज्ञान को जन-जन तक पहुँचाने में आपसे जो कुछ भी बन सके, अवश्य करना। दीपावली मनाने का एक मात्र यही सही तरीका है।
२.प्रश्न : आज भगवान महावीर का असली उत्तराधिकारी कौन है?
उत्तर : अरे, भाई ! हम इस बात पर लड़ते हैं कि भगवान महावीर का असली उत्तराधिकारी कौन है ? उनकी विरासत आज किसके कब्जे में है; पर भाई ! उनकी असली सम्पत्ति क्या है ? पावापुरी का जलमन्दिर या वैशाली के राजमहल ?
अरे भाई ! उनकी असली सम्पत्ति तो वह तत्त्वज्ञान है, जो उनकी दिव्यध्वनि में लगातार तीस वर्ष तक आता रहा था।
आत्मा से परमात्मा बनने की विधि और प्रक्रिया जो उन्होंने सौ इन्द्रों की उपस्थिति में बताई थी, गणधरदेव की उपस्थिति में बताई थी; वह विधि और प्रक्रिया ही उनकी असली सम्पत्ति है; जो लोग उसकी संभाल करें, वे ही उनके सच्चे अनुयायी हैं, सच्चे उत्तराधिकारी हैं।
जिस जर और जमीन को वे तृणवत त्यागकर चले गये थे, आज हम उसी को बटोरने में लगे हुए हैं, आपस में लड़ रहे हैं, झगड़ रहे हैं।
किसी मन्दिर या तीर्थ क्षेत्र पर कब्जा कर लेने से कोई महावीर का उत्तराधिकारी नहीं हो जाता। इसीप्रकार किसी को राजतिलक करने से कोई महावीर का उत्तराधिकारी नहीं बनेगा; उनका बताया रास्ता जो जानता हो, उस पर भूमिकानुसार चलता भी हो; वह ही उनका सच्चा उत्तराधिकारी है।
अरे, भाई ! उत्तराधिकार की बातें बन्द करके आत्मकल्याण की बात करें और उनकी दिव्यध्वनि में समागत वीतरागी तत्त्वज्ञान को जन-जन तक पहुँचाने की योजना पर बात करें; इसमें ही हम सब की भलाई है।
३. प्रश्न : अच्छा तो आप यह बताइये कि इस महापर्व का नाम दीपावली क्यों पड़ा और इस पर्व पर दीपक क्यों जलाये जाते हैं ? आपने खाने-खेलने, तराजू आदि साफ करने से तो अरुचि दिखाई; पर दीपक जलाने के सन्दर्भ में कुछ नहीं कहा।
उत्तर : अरे, भाई ! सूरज के डूब जाने पर दीपक तो जलाये ही जाते हैं; इसमें क्या आश्चर्य है। भगवान महावीररूपी सूरज डूब गया था तो प्रकाश की कुछ न कुछ व्यवस्था तो करनी ही थी। __ अमावस्या के दिन घने अंधकार को दूर करने के लिए दीपक ही तो जलाये जाते हैं।
दीपक जलाने का यही अर्थ है कि जिसप्रकार सूरज के डूब जाने पर अंधकार से लड़ने के लिए दीपक मार्गदर्शक बनते हैं; उसीप्रकार भगवान महावीररूपी सूरज के डूब जाने पर हमें ज्ञानी धर्मात्मारूपी दीपकों का ही तो सहारा होता है।
यह भी कहा जा सकता है कि गौतमस्वामी को केवलज्ञान होने की खुशी में ये ज्ञानदीप जलाये गये थे। यह तो आप जानते ही हैं कि दीपक ज्ञान का प्रतीक है।
४. प्रश्न : और लड्डु क्यों चढ़ाये जाते हैं ? उनके बारे में भी तो आपने कुछ नहीं कहा।
उत्तर : लड्डु तो चढ़ाये ही जाते हैं, पर शास्त्रों में इसके सन्दर्भ में कुछ देखने को नहीं मिलता। अरे, भाई ! लड्डु तो खाने की चीज है, चढ़ाने की नहीं।
बात यह हो सकती है कि दीपावली के दिन उस समय घरों में लड्ड बन रहे होंगे, तभी समाचार मिला कि भगवान महावीर का निर्वाण हो गया है तो सभी लोग हड़बड़ाहट में लड्ड हाथ में लिए हुए ही भागे कि देखे तो सचमुच क्या हुआ है ?
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