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परिशिष्ट : सैंतालीस नय
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और धनुष के मध्य स्थित है, स्वकाल की अपेक्षा से संधानदशा में है अर्थात् धनुष पर चढ़ाकर खैंची हुई दशा में है और स्वभाव की अपेक्षा से लक्ष्योन्मुख है अर्थात् निशान की ओर है। इसप्रकार जैसे बाण स्वद्रव्य-क्षेत्र - काल-भाव की अपेक्षा से अस्तित्ववाला है, उसीप्रकार भगवान आत्मा अस्तित्वनय से अर्थात् स्वचतुष्टय की अपेक्षा से अस्तित्ववाला है ।
स्वयं के सम्पूर्ण गुण- पर्यायों के पिण्ड को स्वद्रव्य कहते हैं, स्वयं के असंख्य आत्मप्रदेशों को स्वक्षेत्र कहते हैं, स्वयं की वर्तमान समय की अवस्था को स्वकाल कहते हैं एवं प्रत्येक गुण की तत्समय की पर्याय की ओर झुके हुए त्रिकाली शक्तिरूप - गुणरूप भाव को स्वभाव कहते हैं। द्रव्य-द्रव्यगुणपर्यायरूप वस्तु, क्षेत्र=प्रदेश, काल-पर्याय एवं भाव = गुण, धर्म, स्वभाव, शक्तियाँ ।
जिसप्रकार लोहमयपना तीर का स्वद्रव्य है; उसीप्रकार गुणपर्यायमयपना भगवान आत्मा का स्वद्रव्य है। जिसप्रकार डोरी और धनुष के बीच में रहा हुआ तीर का आकार ही तीर का स्वक्षेत्र है; उसीप्रकार अपने जिन असंख्यात प्रदेशों में भगवान आत्मा रहता है, वे असंख्यात प्रदेश ही उसका स्वक्षेत्र हैं। जिसप्रकार लक्ष्य के सन्मुख संधानीकृत अवस्था ही तीर का स्वकाल है; उसीप्रकार वर्तमान जिस अवस्था में आत्मा विद्यमान है, वह अवस्था ही आत्मा का स्वकाल है। जिसतरह निशान के सन्मुख रहनेरूप जो तीर का भाव है, वही उसका स्वभाव है; उसीप्रकार समय-समय की पर्यायरूप से परिणमित होने की शक्तिरूप जो भाव है, वही भाव भगवान आत्मा का स्वभाव है।
इसप्रकार भगवान आत्मा अपने गुण-पर्यायों के पिण्डरूप स्वद्रव्य से, अपने असंख्यात प्रदेशी स्वक्षेत्र से, वर्तमान वर्तती पर्यायरूप स्वकाल से एवं शक्तिरूप स्वभाव से अस्तित्वधर्मवाला है। अस्तित्वधर्म में स्वद्रव्य, स्वक्षेत्र, स्वकाल और स्वभाव - ये चार बातें समाहित हैं। प्रत्येक वस्तु का अस्तित्व इन चार बातों में ही समाहित है।
वस्तु के अस्तित्व की यह एक सहज प्रक्रिया ही है। कौन, कहाँ, कब और क्यों - इन प्रश्नों के उत्तर बिना किसी व्यक्ति का अस्तित्व ही सिद्ध नहीं होता । वस्तु के अस्तित्व की सिद्धि के लिए प्रत्येक वस्तु के संबंध में इन चार प्रश्नों के उत्तर आवश्यक ही नहीं, अनिवार्य हैं। कौन=द्रव्य, कहाँ=क्षेत्र, कब = काल, क्यों=भाव ।
मैं आपसे कहूँ कि वह आपसे मिलना चाहता है, तो आपके मस्तिष्क में उक्त चार प्रश्न एक साथ ही खड़े हो जावेंगे। आप तत्काल ही पूछेंगे कि कौन मिलना चाहता है,