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प्रवचनसार
इसप्रकार इस गाथा में यही कहा गया है कि सत्ता और द्रव्य में पृथक्तारूप भिन्नता नहीं होने पर भी अन्यतारूप भिन्नता विद्यमान है।
भिन्नता दो प्रकार की होती है - एक पृथकतारूप भिन्नता एवं दूसरी अन्यतारूप भिन्नता। पृथकता अर्थात् दो पदार्थ जुदे-जुदे हैं एवं अन्यता अर्थात् जिनकी सत्ता तो एक है, पर स्वभाव भिन्न-भिन्न हैं। जिनकी सत्ता पृथक् है, उनमें पृथक्ता होती है एवं जिनकी सत्ता एक है, पर लक्षणादि भिन्न-भिन्न हैं, उनमें अन्यता होती है।
द्रव्य तथा गुणों के मध्य एवं द्रव्य तथा पर्याय के मध्य अन्यता होती है, पृथकता नहीं। दो द्रव्यों के मध्य पृथकता होती है, अन्यता नहीं। एक द्रव्य की दो पर्यायों में अन्यता होती है, पृथकता नहीं। एक द्रव्य के दो गुणों में अन्यता होती है, पृथकता नहीं।
एक द्रव्य, गुण व पर्याय में जहाँ मात्र भाव से ही भिन्नता होती है एवं द्रव्य-क्षेत्र व काल से अभिन्नता होती है, वहाँ अन्यता है। ज्ञान काजाननेरूप भाव हैएवं दर्शन का देखनेरूप भाव है। इसप्रकार भावभिन्नता होने से ज्ञान और दर्शन में अन्यता है। ___ मैं देह से इसलिए पृथक् हूँ; क्योंकि देह व आत्मा - ये दो पृथक्-पृथक् द्रव्य हैं । राग से आत्मा इसलिए अन्य है; क्योंकि इसमें दो द्रव्य नहीं हैं।
ध्यान देने की बात यह है कि 'भिन्नता' शब्द का प्रयोग पृथकता और अन्यता - इन दोनों के स्थान पर खुलकर समानरूपसे किया जाता रहा है। अत: यह ध्यान रखना बहुत जरूरी है कि भिन्नता का अर्थ प्रकरण के अनुसार किया जावे।
प्रश्न - उत्पाद भी सत् है, व्यय भी सत् है एवं ध्रौव्य भी सत् है। तीनों यदि सत् हैं तो तीनों में तीन सत् हैं या दो सत् हैं या एक सत् है ?
उत्तर - अस्तित्व नामक जो गुण है, वह तीनों में एक ही है। उत्पाद, व्यय और धौव्य इन तीनों में तीन सत् नहीं हैं, एक ही सत् है।
सत् के अंश को भी सत् कहा जाता है; इसलिए उत्पाद भी सत् है, व्यय भी सत् है एवं ध्रौव्य भी सत् है। जो सत्ता उत्पाद-व्यय-ध्रौव्य - इन तीनों में व्याप्त है, वही सत्ता द्रव्य में व्याप्त है।
हम कहते हैं कि ज्ञान का अस्तित्व है, दर्शन का अस्तित्व है; इसप्रकार अनंत गुणों का अस्तित्व है। यह ऐसी विचित्र बात है कि अनंत का अस्तित्व होकर भी सम्पूर्ण अस्तित्व मिलाकर एक ही है।
आध्यात्मिकसत्पुरुष श्री कानजी स्वामी ने ४७ शक्तियों को समझाते हुए यह कहा है कि सत्तागुण का रूप सब में है; जिसकी वजह से वह सब में है। सत्ता तो स्वयं से सत्तास्वरूप है,