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नींव का पत्थर
कुछ अनछुए पहलू
अन्योन्याभाव कहते हैं। यह परमाणु-परमाणु की स्वतंत्रता की घोषणा करता है। चौथा - अत्यन्ताभाव एक द्रव्य का दूसरे द्रव्य में अभाव बताकर प्रत्येक द्रव्य का स्वतंत्र अस्तित्व कायम रखता है। प्रत्येक द्रव्य सदैव एकत्व स्वरूप में रहता है। अपने स्वभाव को कभी नहीं छोड़ता और अपना स्वभाव छोड़े बिना तथा अन्यरूप हुए बिना अन्य का कार्य करना संभव नहीं है, क्योंकि इनमें परस्पर में अत्यन्ताभाव की वज्र की दीवार खड़ी है । इस अत्यन्ताभाव को जानने एवं इसकी श्रद्धा से धर्मसंबंधी लाभ यह है कि जब दो द्रव्यों में अत्यन्त अभाव विद्यमान है तो फिर अन्य द्रव्य मेरा भला-बुरा कैसे कर सकता है ? अत: न दूसरों से भय रहता है
और न दूसरों से सुख की आशा ही रहती है। ___इसप्रकार अभाव के चारों भेद वस्तुस्वातंत्र्य की सिद्धि करते हैं। जो इन्हें समझ कर इनकी प्रतीति करते हैं। श्रद्धा करते हैं, वे अल्पकाल में ही राग-द्वेष से मुक्त होकर वीतरागी बन जाते हैं।
अनेकान्त ने श्रोताओं से प्रश्न किया - “चारों अभावों का स्वरूप समझ में आया ?"
विराग ने हाथ ऊँचा करते हुए थोड़ा रुक कर कहा - "हाँ, आ
__ अनेकान्त ने प्रोत्साहित करते हुए कहा - "बहुत अच्छा...पर ध्यान रखें प्रश्न सुनकर पहले हाथ उठायें, फिर जिससे - उत्तर देने को कहें, वही उत्तर दे। इससे सबको सोचने का अवसर मिलता है।
अच्छा बताओ - “आत्मा अनादि से केवलज्ञानमय है - ऐसा माननेवाले ने कौन-सा अभाव नहीं माना और क्यों ?...."अनेकान्त ने सम्यक् की ओर संकेत किया।
सम्यक् ने कहा - "प्रागभाव, क्योंकि केवलज्ञान तो ज्ञानगुण की पर्याय है न, अतः केवलज्ञान होने के पूर्व की मतिज्ञानादि पर्यायों में उसका अभाव है।" ___ अनेकान्त ने कहा - "आशा है, चार अभावों का स्वरूप तुम्हारी समझ में अच्छी तरह आ गया होगा? यदि आ गया तो बताओ -
शरीर और जीव में कौन-सा अभाव है।"
श्रोता - "अत्यन्ताभाव, क्योंकि एक पुद्गल द्रव्य है और दूसरा जीव द्रव्य है और दो द्रव्यों के बीच होनेवाले अभाव को ही अत्यन्ताभाव कहते हैं।"
दूसरे श्रोता से प्रश्न - “टेबल और माईक में कौन-सा अभाव
गया।"
अनेकान्त ने कहा - "आ गया तो बताओ देह और आत्मा में कौन-सा अभाव है, सकारण उत्तर दो।"
विराग ने कहा - "अत्यन्ताभाव है, क्योंकि देह और आत्मा भिन्नभिन्न दो द्रव्य हैं और द्रव्यों के बीच अत्यन्ताभाव होता है।"
अनेकान्त ने पुन: पूछा - बताओ “पुस्तक और घड़े में कौन-सा अभाव है?"
अनुराग ने हाथ उठाया और संकेत पाकर उत्तर दिया - “अन्योन्याभाव, क्योंकि पुस्तक और घड़ा दोनों पुद्गल द्रव्य की वर्तमान पर्यायें हैं।"
श्रोता - “अन्योन्याभाव, क्योंकि टेबल और माईक दोनों पुद्गल द्रव्य की वर्तमान पर्यायें हैं।"
तीसरे श्रोता से प्रश्न - "यह वर्तमान राग मुझे जीवन भर परेशान करेगा' ऐसा मानने वाले ने कौन-सा अभाव नहीं माना ?"
श्रोता का उत्तर - “प्रध्वंसाभाव, क्योंकि वर्तमान राग का भविष्य की चारित्रगुण की पर्यायों में अभाव है, अत: वर्तमान राग भविष्य के सुख-दुख का कारण नहीं हो सकता।"
एक जिज्ञासु ने प्रश्न किया - कृपया बतायें कि - "इन चार प्रकार के अभावों को समझने से क्या-क्या लाभ हैं?"
अनेकान्त ने उत्तर में कहा - "अनादि से मिथ्यात्वादि महापाप
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