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साधारण-सा कोई नेता आता है तो राजमार्ग के दोनों ओर बल्लियाँ बांध दी जाती हैं। उसीप्रकार जिससमय नेमिकुमार के बारात आगमन का समय गोधूलि का समय था। पशु जंगल से लौटकर आ रहे थे। अपने
अपने बछड़ों से मिलने को रंभा रहे थे। श्रवणमास प्राय: गायों की प्रसूति का समय होता है। अत: उनका | रंभाना स्वाभाविक ही था । पशुओं के इस अवरोध और क्रन्दन को लेकर अनेक विचारकों ने अपनी-अपनी | सोच के अनुसार अपने अलग-अलग विचार प्रस्तुत किये -
राजनैतिक विचारधारा वाले लोगों का ख्याल था कि "श्रीकृष्ण नेमिकुमार के अतुल्यबल से आतंकित हो गये थे और उन्हें सन्देह हो गया था कि इनके रहते हमारा राज्य निष्कंटक नहीं रह सकता। अत: वे नेमिकुमार को अपने रास्ते से हटाना चाहते थे; परन्तु बहुत ही सम्मानपूर्वक और स्नेह के साथ । वे जानते थे कि नेमि वैराग्य प्रकृति के तो हैं ही; थोड़ा-सा कोई भी निमित्त मिलेगा तो वह निश्चित दीक्षा लेकर वनवासी हो जायेंगे। इसलिए श्रीकृष्ण ने यह उपाय सोचा होगा। निश्चित ही नेमि की विराग प्रकृति को देखकर उन्हें अपने रास्ते से हटाने के लिए विवाह और पशुओं का बन्धन आदि घटनाएँ श्रीकृष्ण की सुनियोजित योजना रही होगी।" ___ अन्य कोई धार्मिक व्यक्तियों का मत था कि जन्म से ही तीन ज्ञान के धनी, तद्भव मोक्षगामी तीर्थंकर नेमिनाथ जैसे अहिंसा का सन्देश देनेवाले के बाराती मांसाहारी हो ही नहीं सकते। अत: मांसाहार की बात सर्वथा अनुचित ही है, असत्य ही है, मिथ्या अफवाह है।
वस्तुत: बात यह थी कि - बारात का समय गोधूलि का समय था, अत: राजमार्ग पशुओं से अवरुद्ध न हो जाय, अन्यथा बारात का निकलना मुश्किल होगा। एतदर्थ व्यवस्थापकों द्वारा बांस-बल्लियाँ बांधकर राजमार्ग सुरक्षित किया गया था। इस कारण रास्ता अवरुद्ध होने से मार्ग के दोनों ओर पशु खड़े-खड़े रंभा रहे हैं।
इसप्रकार संसार के स्वार्थीपन का स्वरूप ख्याल में आते ही नेमिकुमार विवाह से विरक्त हो गये। उनके २४
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