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कंस को एक ज्योतिषी ने बताया था कि जो कोई नागशय्या पर चढ़कर धनुष पर डोरी चढ़ा देगा और पाँचजन्य शंख को फूँख देगा, वही तुम्हारी मौत का कारण बनेगा; अतः ज्योतिषी के बताये अनुसार शत्रु का पता लगाने के लिए कंस ने नगर में यह घोषणा करवा दी कि जो कोई यहाँ आकर सिंहवाहिनी नागशय्या पर चढ़ेगा, अजितंजय धनुष पर डोरी चढ़ा देगा और पाँचजन्य शंख को मुख से फूँकेगा, कंस उसको अपना | मित्र समझेगा तथा उसे अलभ्य इष्ट वस्तु देकर सम्मानित करेगा । "
कंस की घोषणा सुनकर अनेक राजा वहाँ आये; परन्तु वे सब इस कार्य में असफल ही रहे, परन्तु कृष्ण महा नागशय्या पर सामान्य शय्या के समान चढ़ गये । तदनन्तर उन्होंने साँपों के द्वारा उगले हुए घूम को बिखेरने वाले धनुष पर प्रत्यंचा भी चढ़ा दी और शब्दों से समस्त दिशाओं को भरनेवाले पाँचजन्य शंख | को खेद रहित अनायास ही फूँक दिया ।
बस, फिर क्या था; कंस ने कृष्ण को निष्प्राण करने के लिए समस्त गोपों के समूह को यमुना के उस पार हद पर भेजा, जो प्राणियों के लिए अत्यन्त दुर्गम और जहाँ विषैले साँप लहलहाते रहते थे । उनमें एक कालिया नाम का भयानक साँप भी था, परन्तु कृष्ण ने उस कालिया नामक नाग का अपने बाहुबल से मर्दन कर डाला ।
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कंस ने पुन: एक बार कृष्ण को मारने के लिए मल्लों से मल्लयुद्ध हेतु कृष्ण को बुलाया; परन्तु कृष्ण चाणूर जैसे महामल्ल को भी अपने बाहुबल से मार डाला ।
जब कंस ने देखा कि कृष्ण ने चाणूर और मुष्टिक दोनों महामल्लों को मार डाला तब स्वयं कंस हाथ | में पैनी तलवार लेकर कृष्ण को मारने के लिए दौड़े, तब कृष्ण ने सामने आते हुए कंस के हाथ से तलवार छीन ली और मजबूती से उसके बाल पकड़ उसे क्रोधावेश में आकर पृथ्वी पर पटक दिया तथा पछाड़कर मार दिया।
जब जीवद्यशा ने अपने पिता जरासंघ को श्रीकृष्ण के द्वारा की गई अपने पति कंस की मृत्यु का समाचार
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