________________
| ज्ञातव्य है कि प्रस्तुत हरिवंश पुराण के रचयिता आचार्य जिनसेन से महापुराण के कर्ता जिनसेनाचार्य | | भिन्न हैं। ॥ हरिवंश पुराण के कर्ता आचार्य जिनसेन बहुश्रुत विद्वान थे। हरिवंश पुराण में हरिवंश की कथा के साथ|| साथ जैनवाङ्गमय के विविध विषयों का अच्छा निरूपण हुआ है। इसकारण यह जैन साहित्य का अनुपम ग्रन्थ बन गया है।
हरिवंश पुराण की कथावस्तु - इस पुराण में वर्णित तीर्थंकर भगवान नेमिनाथ का जीवन आदर्श-त्याग का जीवन है। वे हरिवंश गगन के प्रकाशमान सूर्य हैं। भगवान नेमिनाथ के साथ नारायण श्रीकृष्ण एवं उनके भाई बलदेव के आदर्श चरित्र भी इसमें हैं। प्रसंगानुसार पाण्डवों तथा कौरवों की लोकप्रिय कथायें भी इसमें चित्रित की गई हैं। इसमें श्रीकृष्ण के पिताश्री कुमार वसुदेव एवं उनके ही पुत्र प्रद्युम्नकुमार, भानुकुमार, शम्बुकुमार एवं चारुदत्त, पाँच पाण्डव और कौरव आदि का चरित्र अपना पृथक् स्थान रखता है।
साहित्यिक सुषमा - हरिवंशपुराण न केवल कथाग्रन्थ है; बल्कि संस्कृत का एक श्रेष्ठ महाकाव्य भी है, जिसमें यथास्थान नदी-पर्वतों, वन-वाटिकाओं की प्राकृतिक छटा, षट् ऋतुओं का वर्णन, दिन-रात का वर्णन एवं नारियों के नख-शिख वर्णन की अलंकारिक उपमायें आदि सभी महाकाव्य की काव्यशास्त्रीय विशेषताओं के अनुसार हैं।
इसके सैंतीसवें सर्ग से भगवान नेमिनाथ का चरित्र प्रारंभ होता है। वहीं से इसकी साहित्यिक सुषमा वृद्धिंगत होती है। अनेक सर्ग सुन्दर-सुन्दर छन्दों से सुशोभित हैं। ऋतुवर्णन, चन्द्रोदय वर्णन आदि भी अपने ढंग के निराले हैं। नेमिनाथ भगवान के वैराग्य तथा बलदेव के विलाप आदि के वर्णन के लिए कवि ने जो छन्द चुने हैं, वे रसपरिपाक के एकदम अनुरूप हैं। श्रीकृष्ण की मृत्यु के बाद बलदेव का करुण विलाप और स्नेहचित्रण इतना प्रभावी है कि पाठक अश्रुधारा को नहीं रोक पाता। नेमिनाथ के वैराग्य वर्णन को पढ़कर प्रत्येक मनुष्य का हृदय संसार की मोह-ममता से विमुख हो जाता |
F0+PFFE