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________________ ४१ हजार ६०० प्रथम सात संस्करण (२२ फरवरी १९८१ से अद्यतन) आत्मधर्म में सम्पादकीय के रूप में युगपुरुष कानजी स्वामी पुस्तक में अष्टम संस्करण (३१ मार्च २००७, महावीर जयन्ती) योग : : ७हजार १८ हजार २०० ५ हजार : ७१ हजार ८०० क्या/कहाँ मूल्य : चार रुपये विषय पृष्ठ क्र. १. चैतन्य चमत्कार २. सम्यग्ज्ञानदीपिका ३. अब हम क्या चर्चा करें ? २८ |४. हम तो उनके दासानुदास हैं ३६ मुद्रक: प्रिन्ट 'ओ' लैण्ड ५. वह तो नाममात्र का भी जैन नहीं ४३ बाईस गोदाम, ६. क्रमबद्धपर्याय प्रकाशकीय (अष्टम संस्करण) जिन-अध्यात्म जगत में आध्यात्मिकसत्पुरुष श्री कानजी स्वामी से आज कौन अपरिचित है ? इस युग में उनके द्वारा संचालित आध्यात्मिक क्रान्ति ने जहाँ एक ओर लाखों लोगों को जिन-अध्यात्म की ओर मोड़ा है, वहीं दूसरी ओर क्रियाकाण्डी जगत में खलबली भी कम नहीं हुई। उनके ही प्रबल पुरुषार्थ और पुण्य-प्रताप का यह परिणाम है कि आज गाँव-गाँव में आध्यात्मिक गोष्ठियाँ चलने लगी हैं और गलीगली में अध्यात्म की सूक्ष्म चर्चाएँ होने लगी हैं। उनके ही प्रताप से आचार्य कुन्दकुन्द का समयसार आज जन-जन की वस्तु बन गया है। उनके जीवनकाल में ही उनके सम्बन्ध में भ्रान्त धारणाएँ फैली या जान-बूझकर फैलाई गईं, जिससे सम्पूर्ण जैन समाज आन्दोलित हो उठा । जब १९७६ में डॉ. हुकमचन्दजी भारिल्ल के हाथ आत्मधर्म (हिन्दी) का सम्पादन आया तो उन्होंने उन भ्रान्त धारणाओं के निराकरण के लिए श्री कानजी स्वामी से अनेक इन्टरव्यू लिए और उन्हें आत्मधर्म हिन्दी के सम्पादकीयों के रूप में प्रकाशित किया, जिनका प्रभाव समाज पर जादू जैसा हुआ। परिणामस्वरूप उनके सम्बन्ध में फैली भ्रान्त धारणाओं के बादल कुछ छट गये। उक्त इन्टरव्यूज को 'चैतन्य चमत्कार' नाम से पुस्तकाकार भी प्रकाशित किया गया, जो अब तक अखिल भारतीय जैन जयपुर
SR No.008346
Book TitleChaitanya Chamatkar
Original Sutra AuthorN/A
AuthorHukamchand Bharilla
PublisherTodarmal Granthamala Jaipur
Publication Year2007
Total Pages38
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Spiritual
File Size204 KB
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