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________________ श्री सौभाग्यमलजी कृत भजन आध्यात्मिक भजन संग्रह बीती बात बिसार चेत तू, सुरज्ञानी, सुरज्ञानी । लगा प्रभु से ध्यान सफल हो, जिंदगानी, जिंदगानी ।। धन वैभव 'सौभाग्य' बढ़ेआदर हो जग में तेरा,खुलेमोक्ष ताले ताले।।४।। २६. त्रिशला के नन्द तुम्हें वंदना हमारी है त्रिशला के नन्द तुम्हें वंदना हमारी है ।।टेर ।। दुनिया के जीव सारे तुम को निहार रहे। पल पल पुकार रहे, हितकर चितार रहे ।। कोई कहे वीर प्रभु कोई वर्द्धमान कहे। सनमति पुकार कहे तूं ही उपारी है।।१।।त्रिशला ।। मंगल उपदेश तेरा, कर्मों का काटे घेरा। भव भव का मेटे फेरा, शिवपुर में डाले डेरा ।। आत्म सुबोध करें, रत्नत्रय चित्त धरें । शिव तिय 'सौभाग्य' वरें ये ही दिल धारी हैं।।२।।त्रिशला ।। २७. धन्य धन्य आज घड़ी कैसी सुखकार है धन्य धन्य आज घड़ी कैसी सुखकार है। वीर जिन पधारे देखो रथ हो सवार हैं ।।टेर ।। खुशियां अपार आज हर दिल पे छाई है। दर्शन के हेतु सब जनता अकुलाई है ।। ठोर ठोर देखलो भीड बेशुमार है, वीर जिन पधारे। देखो रथ हो सवार है ।।१।। भक्ति से नृत्य गान कोई हैं कर रहे। आतम सुबोध कर पापों से डर रहे ।। पल पल पुण्य का भरे भंडार हैं, वीर जिन पधारे। देखो रथ हो सवार हैं ।।२।। a.mo जय जय के नाद से गूंजा आकाश है। छूटेंगे पाप सब निश्चय यह आश है।। देखलो सौभाग्य' खुला आज मुक्ति द्वार है, वीर जिन पधारे। देखो रथ हो सवार है ।।३।। २८. तोड़ विषियों से मन जोड़ प्रभु से लगन तोड़ विषियों से मन जोड़ प्रभु से लगन, आज अवसर मिला ।।टेर ।। रंग दुनियां के अब तक न समझा है तू। भूल निज को हा! पर मैं यों रीझा है तू । अब तो मुँह खोल चख, स्वाद आतम का लख। शिव पयोधर मिला।।१।। हाथ आने की फिर ये सु-घड़ियाँ नहीं। प्रीति जड़ से लगाना है अच्छा नहीं ।। देख पुद्गल का घर, नहीं रहता अमर । जग चराचर मिला ।।२।। ज्ञान ज्योति हृदय में अब तो जगा। देख 'सौभाग्य' जग में न कोई सगा।। तजदे मिथ्या भरम, तुझे सच्चे धरम का। है अवसर मिला ।।३।। २९. प्रभु दर्शन कर जीवन की, भीड़ भगी मेरे कर्मन की प्रभु दर्शन कर जीवन की, भीड़ भगी मेरे कर्मन की ।।टेर ।। भव बन भ्रमता हारा था पाया नहीं किनारा था। घड़ी सुखद आई सुवरण की ।।१।।भीड़ भगी ।। anRDKailastipata (८५)
SR No.008336
Book TitleAdhyatmik Bhajan Sangrah
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSaubhagyamal Jain
PublisherTodarmal Granthamala Jaipur
Publication Year2006
Total Pages116
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Spiritual
File Size392 KB
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