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________________ ६० • मन हंस! हमारी लै शिक्षा हितकारी ! • सो मत सांचो है मन मेरे • मन मूरख पंथी, उस मारग मति जाय रे • सब विधि करन उतावला, सुमरनकौं सीरा • आयो रे बुढ़ापो मानी, सुधबुध • चरखा चलता नाहीं (रे) चरखा हुआ पुराना (वे) • काया गागरि, जोझरी, तुम देखो चतुर विचार हो • गाफिल हुवा कहाँ तू डोले, दिन जाते तेरे भरती में आध्यात्मिक भजन संग्रह • जगत जन जूवा हारि चले • जग में श्रद्धानी जीव जीवन मुकत हैंगे • वे कोई अजब तमासा देख्या बीच जहान वे, जोर तमासा सुपनेका-सा • सुनि सुजान ! पाँचों रिपु वश करि • अहो दोऊ रंग भरे खेलत होरी • होरी खेलौंगी, घर आये चिदानंद कन्त ७२ ७३ ७४ ७५ ७६ ७७ marak 3D Kailash Data Antanji Jai Bhajan Book pa (३१) | पण्डित भूधरदासजी कृत भजन 9. लगी लो नाभिनंदनसों । (राग सोरठ) लगी लो नाभिनंदन सों। जपत जेम चकोर चकई, चन्द भरता को ।। जाउ तन-धन जाउ जोवन, प्रान जाउ न क्यों । एक प्रभु की भक्ति मेरे, रहो ज्यों की त्यों ।। १ ।। और देव अनेक सेवे, कछु न पायो हौं । ज्ञान खोयो गाँठिको, धन करत कुवनिज ज्यों ।। २ ।। पुत्र - मित्र कलत्र ये सब, सगे अपनी गों। नरक कूप उद्धरन श्रीजिन, समझ 'भूधर' यों । । ३ ॥ २. भगवन्त भजन क्यों भूला रे (राग सोरठ) भगवन्त भजन क्यों भूला रे ।। टेक ॥। यह संसार रैन का सुपना, तन धन वारि बबूला रे ।। इस जीवन का कौन भरोसा, पावक में तृण-पूलारे । कल कुदार लिये सिर ठाड़ा, क्या समझे मन फूला रे ।। १ ।। स्वारथ साधै पाँच पाँव तू, परमारथ को लूला रे । कहु कैसे सुख पैहै प्राणी, काम करै दुखमूला रे ।। २ ।। मोह पिशाच छल्यो मति मारै, निज कर कंध वसूला रे । भज श्रीराजमतीवर 'भूधर', दो दुरमति सिर धूला रे ॥ ३ ॥
SR No.008336
Book TitleAdhyatmik Bhajan Sangrah
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSaubhagyamal Jain
PublisherTodarmal Granthamala Jaipur
Publication Year2006
Total Pages116
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Spiritual
File Size392 KB
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