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२ हजार
प्रथम संस्करण (१५ सितम्बर, २००६)
हिन्दी दिवस
मूल्य : बीस रुपये
सम्पादकीय 'आध्यात्मिक भजन संग्रह' का प्रकाशन पण्डित टोडरमल स्मारक ट्रस्ट जैसी प्रभावी संस्था से होना अपने आप में गौरव का विषय है।
मझे बचपन से ही आध्यात्मिक भजनों से लगाव था। अक्सर मैं इन भजनों को पढ़ता और फिर मन ही मन गुनगुनाता रहता था। अनेक भजन इस वृद्धावस्था में भी मुझे याद है, और विशिष्ठ दिनों के बाद याद हुये भजनों को मैं दोहराता रहता हूँ।
जिसतरह आचार्य प्रणीत ग्रन्थों की श्रद्धा मेरी दृढ़ है उसी तरह भजनों के सम्बन्ध में भी मेरे हृदय में अत्यन्त दृढ़ श्रद्धा है। आचार्य प्रणीत ग्रन्थों का यह भाव इन महाकवियों ने अपने सुलभ शब्दों में अपने व जनसामान्य के लिए सुलभ बनाया है। इस भजन संग्रह के संपादन के निमित्त से मुझे इन भजनों का पुनः-पुनः अध्ययन करने का मोका मिला। प्रूफ देखने के निमित्त से भी मेरा इन भजनों का स्वाध्याय होता रहा । इसका मुझे सात्विक आनन्द है। अनेक वर्षों से टोडरमल स्मारक ट्रस्ट का मुख्य रीति से डॉ. भारिल्ल साहब का साधार्मिकपने का सम्बन्ध उनके जयपुर के आगमन काल से रहा। मैं तो उनका विद्यार्थी बनकर अनेक विषयों का अध्ययन कर चुका हूँ। ___करीब बीस वर्ष से ब्र. यशपालजी जैन का भी मेरे साथ विशिष्ठ साधार्मिकपने के साथ अपनापन का भी सम्बन्ध बना रहा। इसी कारण से उनके प्रेमपूर्ण आग्रह से भजन संग्रह का सम्पादन का कार्य मैंने किया है।
श्री मोहनलालजी सेठी की भावना भी एक आध्यात्मिक भजन संग्रह टोडरमल स्मारक से प्रकाशित हो, यह भावना थी। उनकी भावना के अनुसार भी मैंने यह प्रयास किया है।
श्री विनयचन्दजी पापड़ीवाल के विचारानुसार कुछ विशिष्ठ भजनों की सी.डी. बनाने का भी भाव है। उस सम्बन्ध में भविष्य ही निर्णय करेगा। मेरी इच्छा के अनुसार यह काम हो गया, इसका मुझे आनन्द है।
-सौभाग्यमल जैन, सी-१०७, सावित्री पथ, बापूनगर, जयपुर
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मुद्रक : प्रिन्ट औ लैण्ड
sa kabata AnsanjiJain Bhajan Book puns
बाईस गोदाम, जयपुर
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