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________________ Version 001: remember to check http://www.AtmaDharma.com for updates अध्यापक नहीं भाई! बताया था न कि रास्ते में बड़े-बड़े विशाल पर्वत हैं । उने पर्वतों पर प्रत्येक पर एक-एक विशाल सरोवर है। उनमें से १४ नदीयां निकलती हैं और सातों क्षेत्रों में बहती हैं। उनके नाम हैं-गंगा–सिन्धु, रोहित - रोहितास्या, हरित-हरिकान्ता, सीता– सीतोदा, नारी - नरकान्ता, सुवर्णकूला - रूप्यकूला और रक्ता - रक्तोदा । ये नदीयाँ क्रम से भरत से लेकर ऐरावत क्षेत्र में प्रत्येक में दो-दो बहती हैं, जिनमें पहली पूर्व समुद्र में और दूसरी पश्चिम समुद्र मे गिरती है। छात्र अध्यापक छात्र अध्यापक — - - — - - इस मध्यलोक को तिर्यक् लोक भी कहते हैं, क्योंकि यह तिरछा बसा है न । जो जीव वहाँ उत्पन्न होते हैं उन्हें नारकी कहते हैं । पापी जीव तो नरक में जाते हैं और पुण्यात्मा ? छाञ अध्यापक पुण्यात्मा स्वर्ग जाते हैं । छात्र ये स्वर्ग कहाँ हैं और कैसे हैं ? अध्यापक स्वर्ग ! स्वर्ग ऊर्ध्वलोक में हैं। - क्या मतलब, बस्तियाँ तो तिरछी ही होती है ? मध्यलोक की बस्तियाँ तिरछी हैं, पर अधोलोक की नहीं वे तो एक के नीचे एक हैं। हैं, क्या कहा ? अधोलोक ! हाँ! हाँ!! इसी पृथ्वी के नीचे सात नरक हैं, जिनके नाम हैं रत्नप्रभा, शर्कराप्रभा, बालुकाप्रभा, पंकप्रभा, धूमप्रभा, तमःप्रभा, महातमप्रभा। वे क्रमश: एक के नीचे एक हैं। वे बस्तियाँ बहुत ही दुखद हैं। रहने का स्थान भी बिलों के सदृश है। वहाँ की जलवायु बहुत ही दूषित हैं। वहाँ के जीव बाह्य वातावरण की प्रतिकूलता से दुःखी तो हैं ही, पर उनके कषायों की तीव्रता भी है, अतः आपस में मारकाट किया करते हैं। नरक क्या ? दुःख का घर ही है। जब जीव घोर पाप करता है तो वहाँ उत्पन्न होता हैं । २६ Please inform us of any errors on [email protected]
SR No.008325
Book TitleVitrag Vigyana Pathmala 2
Original Sutra AuthorN/A
AuthorHukamchand Bharilla
PublisherTodarmal Granthamala Jaipur
Publication Year1997
Total Pages51
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Education, Spiritual, & Philosophy
File Size719 KB
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