________________
Version 001: remember to check http://www.AtmaDharma.com for updates
समयसार
May
20
www.Atma Dharma.com
ભગવાન શ્રી કુંદકુંદાચાર્યદેવ
भगवान श्री कुन्दकुन्दाचार्यदेव वनमे ताडपत्र पर शास्त्र रचते हे
भगवान श्री कुन्दकुन्दाचार्यदेवके सम्बन्धमें उल्लेख
वन्द्यो विभुर्भुवि न कैरिह कौण्डकुन्दः कुन्द-प्रभा-प्रणयि-कीर्ति - विभूषिताशः । यश्चारु–चारण-कराम्बुजचञ्चरीकश्चक्रे श्रुतस्य भरते प्रयतः प्रतिष्ठाम् ।। [ चन्द्रगिरि पर्वत का शिलालेख ]
अर्थः- कुन्द पुष्पकी प्रभा धारण करने वाली जिनकी कीर्ति द्वारा दिशायें विभूषित हुई हैं, जो चारणोंके - -- चारणऋद्धिधारी महामुनियोंके सुन्दर हस्तकमलोंके भ्रमर थे और जिन पवित्र आत्माने भरतक्षेत्रमें श्रुतकी प्रतिष्ठा की है, वे विभु कुन्दकुन्द इस पृथ्वी पर किससे वंद्य नहीं हैं ?
Please inform us of any errors on rajesh@AtmaDharma.com
३१