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પ
जाकी दुखदाता - घाती चाकरी जाकी परम दसा विषै
जाके उदै होत घट - अंतर
जाके उर अंतर निरंतर जाके उर अंतर सुद्रिष्टि की जाके उर कुबजा बसै
जाके घट ऐसी दसा जाके घट अंतर मिथ्यात जाके चेतन भाव चिदानंद सोइ
जाक देह-द्युतिसौं दसौं दिसा जाके परगासमैं न दीसैं जाके मुख दरससौं भगतके जाके मुकति समीप
जाकै घट प्रगट विवेक
जाकै घट समता नही जाकै पद सोहत सुलच्छन जाकै राज सुचैनसौं जाकै वचन श्रवन नहि जाके हिरदैमैं स्याद्वाद साधना अ अरब अनवृति
| जाकौ तन दुख दहलसौं जाक विकथा हित लगै
जाति लाभ कुल रूप तप जामैं धूमकौ न लेश वातकौ न जामैं बालपनौं तरुनापौ
जामैं लोक वेद नांहि थापना
| जामैं लोकालोकके सुभाव | जासौं तू कहत यह संपदा हमारी
સમયસાર નાટક
પૃષ્ઠ
४०२
३४४
९५
१४२
जिन - प्रतिमा जन दोष निकंदै
३६६ जिनि प्रतिमा जिन - सारखी २८४ जिनि ग्रंथी भेदी नहीं ३५२ जिन्हकी चिहुंटी चिमटासी
जिन्हकी सहज अवस्था ऐसी
પધ
जाहि फरसकै जीव गिर जाही समै जीव देह बुद्धिकौ
जिनपद नांहि शरीरको
४६
२०२
३५३
४४
१९८
२२२ | जिन्हके सुदृष्टिमै अनिष्ट इष्ट जिन्हके देहबुद्धि घट अंतर जिन्हकी मिथ्यामति नही ३६५ जिन्हके हिये मैं सत्य सुरज ३३७ जिन्हकै दरब मिति साधन
८
जिन्हकें धरम ध्यान पावक २२८ | जिन्हकें सुमतिजागी
४०
४२१
३४५
जिन्हिके वचन उर धारत जिय करता जिय भोगता जिहि उतंग चढि फिर पतन जीव अनादि सरूप मम जीव अरु पुद्गल करम रहें ३७० जीव करम करता नहि ऐसें
३५४
३३६
३४५ जीव करम संजोग
३७६ | जीव ग्यानगुन सहित
१५३
४५
जीव चेतना संजुगत जीव तत्त्व अधिकार यह २२७ जीव निरजीव करता करम
जीव मिथ्यात न करै
जूवा आमिष मदिरा दारी
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પૃષ્ઠ
४०१
६८
४५
३६७
३६५
३७१
२३१
२३९
१५८
३०३
२३०
१४७
२१६
२३१
२२२
४
२५४
२४१
२९१
२५१
२४५
२७४
७०
८१
५५
२३
९२
३४६