________________
Version 002: remember to check http://www.Atma Dharma.com for updates
पाँचवा अधिकार ]
हैं और त्याग करते हुए कुछ विचार नहीं करते कि भी नहीं करते और उन्हें सब साधु मानते हैं ।
तथा यह कहता है बादमें धर्मबुद्धि हो जायेगी तब तो उसका भला होगा ? परन्तु पहले ही दीक्षा देनेवालेने प्रतिज्ञा भंग होती जानकर भी प्रतिज्ञा करायी, तथा इसने प्रतिज्ञा अंगीकार करके भंगकी, सो यह पाप किसे लगा ? बादमें धर्मात्मा होनेका निश्चय कैसा ? तथा जो साधुका धर्म अंगीकार करके यथार्थ पालन न करे उसे साधु मानें या न मानें ? यदि मानें तो जो साधु मुनिनाम धारण करते हैं और भ्रष्ट हैं उन सबको साधु मानो । न मानें तो इनके साधुपना नहीं रहा । तुम जैसे आचरण से साधु मानते हो, उसका भी पालन किसी विरलेके पाया जाता है; सबको साधु किसलिये मानते हो ?
यहाँ कोई कहे हम तो जिसके यथार्थ आचरण देखेंगे उसे साधु मानेंगे, और को नहीं मानेंगे। उससे पूछते हैं एक संघमें बहुत भेषी हैं; वहाँ जिसके यथार्थ आचरण मानते हो, वह औरोंको साधु मानता है या नहीं मानता ? यदि मानता है तो तुमसे भी अश्रद्धानी हुआ, उसे पूज्य कैसे मानते हो ? और नहीं मानता तो उससे साधुका व्यवहार किसलिये वर्तता है? तथा आप तो उन्हें साधु न मानें और अपने संघमें रखकर औरोंसे साधु मनवाकर औरोंको अश्रद्धानी करता है ऐसा कपट किसलिये करता है ? तथा तुम जिसको साधु नहीं मानोगे तब अन्य जीवोंको भी ऐसा ही उपदेश करोगे कि ' इनको साधु मत मानो,' इससे तो धर्मपद्धतिमें विरोध होता है । और जिसको तुम साधु मानते हो उससे भी तुम्हारा विरोध हुआ, क्योंकि वह उसे साधु मानता है । तथा तुम जिसके यथार्थ आचरण मानते हो, वहाँ भी विचारकर देखो; वह भी यथार्थ मुनिधर्मका पालन नहीं करता है ।
1
—
-
[ १५९
क्या त्याग करता हूँ ? बादमें पालन
-
कोई कहे अन्य भेषधारियोंसे तो बहुत अच्छे हैं, इसलिये हम मानते हैं; परन्तु अन्यमतोंमें तो नानाप्रकारके भेष सम्भव हैं, क्योंकि वहाँ रागभावका निषेध नहीं है। इस जैनमतमें तो जैसा कहा है, वैसा ही होनेपर साधु संज्ञा होती है।
—
यहाँ कोई कहे शील - संयमादि पालते हैं, तपश्चरणादि करते हैं; सो जितना करे उतना ही भला है ?
समाधान :- यह सत्य है, धर्म थोड़ा भी पाला हुआ भला ही है; परन्तु प्रतिज्ञा तो बड़े धर्मकी करें और पालें थोड़ा, तो वहाँ प्रतिज्ञाभंगसे महापाप होता है। जैसे कोई उपवासकी प्रतिज्ञा करके एकबार भोजन करे तो उसके बहुतबार भोजनका संयम होनेपर भी
Please inform us of any errors on rajesh@AtmaDharma.com