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पाँचवा अधिकार]
असाताका उदय मंद होनेसे मिटी, और प्रति समय परम औदारिक शरीरवर्गणाका ग्रहण होता है सो वह नोकर्म-आहार है; इसलिये ऐसी-ऐसी वर्गणाका ग्रहण होता है जिससे क्षुधादिक व्याप्त न हों और शरीर शिथिल न हो। सिद्धान्तमें इसीकी अपेक्षा केवलीको आहार कहा है।
तथा अन्नादिकका आहार तो शरीरकी पुष्टताका मुख्य कारण नहीं है। प्रत्यक्ष देखो, कोई थोड़ा आहार ग्रहण करता है और शरीर बहुत पुष्ट होता है; कोई बहुत आहार ग्रहण करता है और शरीर क्षीण रहता है। तथा पवनादि साधनेवाले बहुत कालतक आहार नहीं लेते और शरीर पुष्ट बना रहता है, व ऋद्धिधारी मुनि उपवासादि करते हैं तथापि शरीर पुष्ट बना रहता है; फिर केवलीके तो सर्वोत्कृष्टपना है उनके अन्नादिक बिना शरीर पुष्ट बना रहता है तो क्या आश्चर्य हुआ ? तथा केवली कैसे आहारको जायेंगे ? कैसे याचना करेंगे?
तथा वे आहारको जायें तो समवशरण खाली कैसे रहेगा ? अथवा अन्यका ला देना ठहराओगे तो कौन ला देगा? उनके मनकी कौन जानेगा? पूर्वमें उपवासादिकी प्रतिज्ञा की थी उसका कैसे निर्वाह होगा ? जीव अंतराय सर्वत्र प्रतिभासित हो वहाँ कैसे आहार ग्रहण करेंगे? इत्यादि विरुद्धता भासित होती है। तथा वे कहते हैं- आहार ग्रहण करते हैं, परन्तु किसीको दिखाई नहीं देता। सो आहार ग्रहणको निंद्य जाना, तब उसका न देखना अतिशयमें लिखा है; सो उनके निंद्यपना तो रहा, और दूसरे नहीं देखते हैं तो क्या हुआ? ऐसे अनेक प्रकार विरुद्धता उत्पन्न होती है।
तथा अन्य अविवेकताकी बातें सुनो - केवलीके निहार कहते हैं, रोगादिक हुए कहते हैं और कहते हैं - किसीने तेजोलेश्या छोड़ी उससे वर्द्धमानस्वामीके पेढुंगा ( पेचिसका) रोग हुआ, उससे बहुत बार निहार होने लगा। यदि तीर्थंकर केवलीके भी ऐसे कर्मका उदय रहा और अतिशय नहीं हुआ तो इन्द्रादि द्वारा पूज्यपना कैसे शोभा देगा ? तथा निहार कैसे करते हैं, कहाँ करते हैं ? कोई सम्भावित बातें नहीं हैं। तथा जिस प्रकार रागादियुक्त छद्मस्थके क्रिया होती है, उसी प्रकार केवलीके क्रिया ठहराते हैं।
__ वर्द्धमानस्वामीके उपदेशमें “ हे गौतम” ऐसा बारम्बार कहना ठहराते हैं; परन्तु उनके तो अपने कालमें सहज दिव्यध्वनी होती है, वहाँ सर्वको उपदेश होता है, गौतमको सम्बोधन किस प्रकार बनता है ? तथा केवलीके नमस्कारादि क्रिया ठहराते हैं, परन्तु अनुराग बिना वन्दना सम्भव नहीं है। तथा गुणाधिकको वन्दना सम्भव है, परन्तु उनसे कोई गुणाधिक रहा नहीं है सो कैसे बनती है ?
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