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१०० गुरु
PHETANA.
HARATANTA
Ninto
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‘णमो आइरियाणं। णमो उवज्झायाणं। णमो लोए सव्वसाहूणं ' इधर एक मुनि हैं । मुनि हमारे गुरु हैं । वे आत्मा के ध्यान में बैठे हैं । पास में कमण्डल और पीछी है । सच्चे मुनि को आत्मज्ञान होता है । कुन्दकुन्द मुनि आचार्य थे। आचार्य भी मुनि हैं, उपाध्याय भी मुनि हैं, साधु भी मुनि हैं । सब मुनि हमारे गुरु हैं । गुरु हम को धर्म का उपदेश देते हैं । सदा गुरु के दर्शन , विनय और भक्ति करना ।
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