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ज्ञान से धर्म होता है। अज्ञान से अधर्म होता है । जिस में ज्ञान होता है वह धर्म को समझता है । जीव में ज्ञान है । जीव धर्म को समझता है । शरीर में ज्ञान नहीं है । वह धर्म नहीं समझता । मैं जीव हूँ। मुझ में ज्ञान है। मैं अपने ज्ञान से धर्म को समझता हूँ ।
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