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बालकों से
तुम
પણ બળ એવા જૈન ઉપરથ શાંચ ભાષામાં ઘેર ઘેર બાવા બાખ" હા ધર્મનો
Berl
प्रत्यार
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जय जिनेन्द्र
धर्मप्रेमी बालकों !
तुम वीर प्रभु की संतान हो ।
तुम्हारे हाथों में यह बालपोथी देखकर किसको आनन्द नहीं
होगा ?
तुम इसे प्रेम से पढ़ना ।
पढ़ने के लिये हमेशा पाठशाला जाना और आत्मा को समझकर
भी भगवान बनना ।
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