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________________ Version 002: remember to check http://www.AtmaDharma.com for updates रमेश – गुरुजी! हमारी दिनचर्या आप ही बना दें। हम आज से उसके अनुसार ही कार्य करेंगे। अध्यापक – प्रत्येक बालक को चाहिए कि वह सूर्योदय होने के पूर्व बिस्तर छोड़ दे। सबसे पहिले नौ बार णमोकार मंत्र का जाप करे, फिर थोड़ी देर आत्मा के स्वरुप का विचार कर मन को शुद्ध करे। सुरेश - क्या मन भी अशुद्ध होता है ? अध्यापक – हाँ भाई, जिस तरह बाह्य गंदगी हमारे शरीर को गंदा कर देती है, उसी प्रकार मोह-राग-द्वेष आदि विकारी भावों से हमारा मन (आत्मा) गंदा हो जाता है। जिस प्रकार स्नान, मंजन आदि द्वारा हमारी देह साफ हो जाती है, उसी प्रकार आत्मा और परमात्मा के चिंतन से हमारा मन (आत्मा) पवित्र होता है। हमें अंतर और बाहर दोनों की पवित्रता पर ध्यान देना चाहिए। रमेश – उसके बाद? प्रध्यापक – उसके बाद शौच, (टट्टी) आदि से निपट कर मंजन करके स्नान करे तथा शुद्ध साफ धुले हुए कपड़े पहिन कर मंदिरजी में देवदर्शन करने जाना चाहिए। SH १८ Please inform us of any errors on rajesh@AtmaDharma.com
SR No.008220
Book TitleBalbodh Pathmala 1
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRatanchand Bharilla
PublisherTodarmal Granthamala Jaipur
Publication Year2002
Total Pages27
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Education, & Religion
File Size1 MB
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