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wanderings, very expensive hailing ceremony was held there by Samartha Bhanasali, Secretary to Sher Khan, the Governor And after the demise of his preceptor in 1622 V. s the responsibility of protection of the Gaccha fell to his lot
Now in the 16th century of Vikrama political situation in India, and especially in Gujarät, was at sixes and sevens. Almost दनाम्हे आया वही सो रपाकर लषावेगा। श्री बढा हजुररी वगत पदारवो हुवो जीमे अठासुं पाछा पदारवा पालसा अकब्रजोने जेनावादम्हें ग्रानरा पतिबोद दीदो जीरो चमत्यार मोटो बताया जीवहसा (हिंसा) छरकली (चिडिया) तथा नामपषेळ (पक्षी) वेती सो माफ कराई जीरो मोटो उपगार किदो सो श्रीजेनराध्रममे आप असाहीज अदोतकारी अबार कीसे(समय) देखता आपजु फेरवे नहीं आवी पूरव दींदसस्थान अत्रवेद गुजरात मुझ चारु दशाम्हे धरमरो बडो अदोतकार देखाणो, जठा पछे आपरो पदारणो हुओ न्हीं, सो कारण कही वेगा पदारसी, आगे पटापवाना कारणरा दस्तुर माफक आमे हे जी माफक तोल मुरजाद सामो आवो सा बतरेगा श्री बढा हजुररी वषत आपी मुरजाद सामो आवारो कसर पडी मुणो सो काम कारण लेखे भूल रही वेगा जीरो अदेशो नहीं जाणेगा, आगेसु भीमाभाचारीजीने श्री राजम्हें मान्या हे जीरो पटो करदेवाणो जि माफक अरो पगरा भटारषगादीम आवेगा तो पटा माफक मान्ये जावेगा। श्रीहेमाचारजी पेला श्री वडगच्छरा भटारसजीने बडा कारणलं श्रीराजम्हे मान्या, जि माफक आपने आपरा पगरा गादी प्रपाटहवी तपगच्छाराने मान्या जावेगाही सुवाये देशम्हे आपरे गच्छरो देवरो त्था उपासरो वेगा जीरो मुरजाद श्रीराजमु वा दुजा गच्छरी मटारष आवेगा सो राषेगा, श्रीसमरणध्यान देवयात्रा अठे आद करावसी भूलसी नही ने वेगा पदारसी, भवानगी पंचोली गोरो समत १६३५ रा वर्ष आसोज मुद ५ गुरुवार.
- ("राजपुता के जैनवीर.'
१० ३४१-४२)
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