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रामायण
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आचार्य श्री भुवनभानु सूरीश्वरजी महाराज
2.2.201
रामायण (१) (पितृवचनपालन)
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(१) कैकेयीने वरमाला दशरथ के गले में डाली अत: सब राजा दशरथ से लडे, दश. की सारथी कैकेयी, दश. की जीत 'वर माँग' कहने पर 'अवसर पर मागूँगी' यह कैकेयी का जवाब। बाद में भरत को राज्य और राम को वनवास भेजने की माँग (२) पिता का वचन पालन करवाने राम वनवास ! सीताजी, लक्ष्मणजी भी साथ। (३) अयोध्या में वापस आने भरत कै. की राम को साग्रह बिनती। ( ४ ) सीताहरण, जटायु पक्षी का रावण को चंचुप्रहार, तब रावण द्वारा पंखछेद और मृत्यु । (५) छटपटाते मरणासन्न जटायु को देख राम को सीताहरण का पता । (६) हनुमानजीनें राम की मुद्रिका लंका में सीताजी को दी, तब सीताजीनें २१ उपवास का पारणा किया। (७) लंका में तोडफोड, रावण का मुकुट तोड, लंका को आग लगाकर हनु. चले गये।