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भासगाहा-६००७-६०२१] पंचमो उद्देसो
९२५ जइ भुत्तुं पडिसिद्धो, परिवासे मा हु को वि मक्खट्ठा । वुत्तो वा पक्खेवे, आहारों इमं तु लेवम्मि ॥६०१३॥ अभितरमालेवो, वुत्तो सुत्तं इमं तु बज्झम्मि । अहवा सो पक्खेवो, लोमाहारे इमं सुत्तं ॥६०१४॥ "जइ भोत्तुं०" ["अभितरमालेवो०"] गाहाद्वयं कण्ठ्यम् । मक्खेऊणं लिप्पड़, एस कमो होति वणतिगिच्छाए।
जइ ते ण तं पमाणं, मा कुण किरियं सरीरस्स ॥६०१५॥
"मक्खेऊणं०" गाहा । सीसो भणइ-पढमं मक्खणसुत्तेण भवियव्वं, पच्छा आलेवण सुत्तेणं । एवं वेज्जए भणियं जइ एयं ण पमाणं तो तिगिच्छं मा करेह । आयरियो भणति
आलेवणेण पउणइ, जो उ वणो मक्खणेण किं तत्थ । होहिइ वणो व मा मे, आलेवो दिज्जई समणं ॥६०१६॥ अच्चाउरे उ कज्जे, करिति जहलाभ कत्थ परिवाडी। अणुपुव्वि संतविभवे, जुज्जइ न उ सव्वजाईसु ॥६०१७॥ "आलेवण०" ["अच्चाउरे उ०"] गाहाद्वयम् । सुत्तम्मि कड्डियम्मि, आलेव ठविंति चउलहू होति ।
आणाइणो य दोसा, विराहणा इमेहि ठाणेहिं ॥६०१८॥ [नि०] "सुत्तम्मि०" गाहा । कण्ठ्या । निद्धे दवे पणीए, आवज्जण पाण तक्कणा झरणा ।
आयंक विवच्चासे, सेसे लहुगा य गुरुगा य ॥६०१९॥ "निद्धे दवे०" गाहा। तिच्चिय संचयदोसा, तयाविसे लाल छिवण लिहणं वा । अंबीभूयं बिइए, उज्झममणुज्झंति जे दोसा ॥६०२०॥ दिवसे दिवसे गहणं, पिट्ठमपिढे य होइ जयणाए।
आगाढे निक्खवणं, अपिट्ठ पिढे य जयणाए ॥६०२१॥ "तिच्चिय०"["दिवसे दिवसे०"] गाहाद्वयं कण्ठ्यम् । 'आयंक विवच्चासे' त्ति