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(xv)
अनुक्रमणिका
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लेख नूतन वर्ष का मंगल सन्देश और सन्तों का आशीर्वाद.. शुद्धात्मा की धगशवाले जिज्ञासु शिष्य को.. मानव जीवन में आत्मा की समझ करनेयोग्य है.. ................ सुख के सम्बन्ध में विचार... सम्यग्दर्शन की दुर्लभता और अपूर्वता................ शुद्धस्वभाव का आदर करने से ही सम्यग्दर्शन... जिन्हें भवरहित होना हो वे अनुभव का अभ्यास करो... आत्मा का अनुभव कर!. भेदविज्ञान की महिमा. विरले जीव ही आत्मा को जानते हैं...... हे जीव! शरीर से भिन्न चैतन्य की शरण कर...... वंदित्तु सव्वसिद्धे.... आत्मा को प्रसन्न करने की धगश.. श्रावकों तथा श्रमणों का कर्तव्य.. सन्तों के अनुभव का सार........ भरतजी के साथ आध्यात्मिक तत्त्वचर्चा... ज्ञानज्योति की झनझनाहट.......................... आत्मज्ञ, वह शास्त्रज्ञ....... शुद्ध आत्मा के प्रति अपार उत्साह.... धन्य जीवन... समयसार के श्रोता का कर्तव्य.. सम्यक्त्व के निमित्त........
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विरला..........
Shree Kundkund-Kahan Parmarthik Trust, Mumbai.