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परमात्मने नमः
मानव जीवन का महान कर्त्तव्य
सम्यग्दर्शन
(भाग - 1)
दंसण मूलो धम्मो
सम्यक्त्व को नमस्कार
हे सर्वोत्कृष्ट सुख के हेतुभूत सम्यग्दर्शन ! तुझे अत्यन्त भक्तिपूर्वक नमस्कार हो !!!
इस अनादि संसार में, अनन्तानन्त जीव, तेरे आश्रय के बिना अनन्तानन्त दुःखों को भोग रहे हैं ।
तेरी परम कृपा से स्व-स्वरूप में रुचि हुई, परम वीतरागस्वभाव के प्रति दृढ़ निश्चय उत्पन्न हुआ, कृतकृत्य होने का मार्ग ग्रहण हुआ ।
हे वीतराग जिनेन्द्र !
आपको अत्यन्त भक्तिपूर्वक नमस्कार करता हूँ । आपने इस पामर के प्रति अनन्तानन्त उपकार किये हैं!
Shree Kundkund - Kahan Parmarthik Trust, Mumbai.