________________
Lord śāntinātha
सामान्यार्थ - विशिष्ट ज्ञान एवं ऐश्वर्य से सहित श्री शान्तिनाथ जिनेन्द्र ! आपने अपने रागादि दोषों का क्षय करके अपने आत्मा में पूर्ण वीतरागता प्राप्त की है। जो आपकी शरण में आते हैं उनको आपके द्वारा शान्ति प्राप्त हो जाती है। आप सर्व रक्षकों में परम शरण हैं; आप मेरे संसार-परिभ्रमण, दु:खों तथा सर्व-भयों से रक्षित होने में निमित्त कारण होवें।
O Lord Sāntinātha, the Victor! You had attained absolute quiescence of your soul by washing away all its blemishes. You had provided serenity to those who came under your protection. O Ultimate Protector! Be the cause of calming down my tribulations and fears owing to my wandering in the world (samsāra) through births and rebirths.
107