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साख्यदर्शन को मानने वाले व्यक्तियों द्वारा उक्त प्रतिपादन परसमयवक्तव्यता है और जैनदर्शन द्वारा यह प्रतिपादन स्वसमयवक्तव्यता है। इसलिए इसमे उभयसमयवक्तव्यता है। ___ एगे आया (स्थानाग १/१) आत्मा एक है-इस वचन को एक उदाहरण के रूप मे लें तो परसमय की दृष्टि से इसकी व्याख्या करने वाले कहते है-आत्मा एक है
"एक एव हि भूतात्मा, भूते भूते व्यवस्थितः। एकधा बहुधा चैव, दृश्यते जलचन्द्रवत्॥"
-ब्रह्म उप १२ ___ एक ही आत्मा प्रत्येक प्राणी में प्रतिष्ठित है। वह एक होने पर भी अनेक रूप में दिखाई देती है
जैसे-चन्द्रमा एक है। जल से भरे हुए अनेक पात्रों में उसके स्वतन्त्र अस्तित्व की प्रतीति होती है, वैसे ही आत्मा एक होने पर भी अनेक रूपो में दिखाई देता है।
स्वसमय की दृष्टि से इसका विवेचन इस प्रकार किया जायेगा-“सब जीवों में शुद्धोपयोग रूप लक्षण समान हैं। "उपयोगलक्षणो जीवः।"--जीव का लक्षण उपयोग है। उपयोग सब जीवों में है इस समानता की दृष्टि से आत्मतत्त्व एक है। उभयसमयवक्तव्यता का यह प्रसंग तुलनात्मक अध्ययन का संकेत देता है। SVASAMAYA-PARASAMAYA VAKTAVYATA
524. (Q.) What is this Svasamaya-parasamaya vaktavyata (explication of doctrines of self and others) ? ___ (Ans.) To state (akhyan.), (and so on up to...) propound (upadarshan) doctrine of self as well as others is Svasamayaparasamaya vaktavyata (explication of doctrines of self and others).
This concludes the description of Svasamaya-parasamaya vaktavyata (explication of doctrines of self and others).
Elaboration—To explain a subject in details and propound the meaning according to the Agam (canon) is called vaktavyata (explication). ___ (1) Svasamaya vaktavyata (explication of one's own doctrine)To explicate and propound one's own doctrine. For example, to state and establish that there are five astıkayas (entities), such as Dharmastikaya (motion entity), Adharmastikaya (rest entity) etc. Dharmastikaya is the entity that helps motion and so on.
(2) Parasamaya vaktavyata (explication of doctrine of others) To explicate and propound doctrines of others. For example, to state and
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ॐ
सचित्र अनुयोगद्वार सूत्र-२
(388)
Illustrated Anuyogadvar Sutra-2
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