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________________ (Ans.) Gautam / They have five kinds of bodies-Audarik (gross physical), Vaikriya (transmutable), Aharak (telemigratory ), Taujas (fiery) and Karman (harmuc). ४१२. वाणमंतराणं जोइसियाणं वेमाणियाणं जहा नेरइयाणं, वेउव्विय-तेयगकम्मा तिन्नि तिन्नि सरीरा भाणियव्वा । ४१२. वाणव्यंतर, ज्योतिष्क और वैमानिक देवों के नारकों के समान वैक्रिय, तैजस् और कार्मण ने तीन-तीन शरीर होते हैं। 412. Like the naaraks (infernal beings) the Vanavyantar, Jyotishk and Vaimanik gods have three kinds of bodies, vaikriya (transmutable), taujas (fiery) and karman (karmc). पाँच शरीरों का संख्यापरिमाण ४१३. केवतिया णं भंते ! ओरालियसरीरा पण्णत्ता ? गो. ! दुविहा पण्णत्ता । तं जहा - बद्धेल्लया य मुक्केल्लया य । तत्थ णं जे ते बल्लया ते णं असंखेज्जा, असंखेज्जाहिं उस्सप्पिणी - ओसप्पिणीहिं अवहीरंति कालओ, खेत्ततो असंखेज्जा लोगा। तत्थ णं जे ते मुक्केल्लगा ते णं अनंता, अणंताहि उस्सप्पिणी - ओसप्पिणीहिं अवहीरंति कालओ, खेत्ततो अनंता लोगा दव्वओ अभवसिद्धिएहिं अनंतगुणा सिद्धाणं अनंतभागो । ४१३. (प्र.) भगवन् ' औदारिकशरीर कितने प्रकार के हैं ? ( उ ) गौतम ! औदारिकशरीर दो प्रकार के है । जैसे- बद्ध तथा मुक्त | उनमें जो बद्ध औदारिकशरीर है वे असंख्यात हैं। वे काल की दृष्टि से असंख्यात उत्सर्पिणियोंअवसर्पिणियों द्वारा अपहृत होते - छोडे जाते है और क्षेत्र की दृष्टि से असख्यात लोकप्रमाण हैं। में जो मुक्त है, वे अनन्त हैं । काल की दृष्टि से वे अनन्त उत्सर्पिणियो - अवसर्पिणियो से अपहृत होते हैं और क्षेत्र की दृष्टि से अनन्त लोक जितने हैं । द्रव्य की दृष्टि से वे अभवसिद्धिक (अभव्य) जीवो से अनन्त गुणा अधिक और सिद्धो के अनन्तवें भागप्रमाण हैं । शरीर प्रकरण Jain Education International (231) For Private Personal Use Only The Discussion on Body www.jainelibrary.org
SR No.007656
Book TitleAgam 32 Chulika 02 Anuyogdwar Sutra Part 02 Sthanakvasi
Original Sutra AuthorAryarakshit
AuthorAmarmuni, Tarunmuni, Shreechand Surana, Trilok Sharma
PublisherPadma Prakashan
Publication Year2001
Total Pages627
LanguagePrakrit, English, Hindi
ClassificationBook_English, Book_Devnagari, Agam, Canon, Ethics, Conduct, & agam_anuyogdwar
File Size21 MB
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