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ते णं वालग्गा नो अग्गी डहेज्जा, नो वाऊ हरेज्जा, नो कुच्छेज्जा, नो पलिविद्धंसिज्जा 2 णो पूइत्ताए हव्वमागच्छेज्जा। तओ णं समए समए एगमेगं वालग्गं अवहाय जावतिएणं कालेणं से पल्ले खीणे नीरए निल्लेवे णिट्टिते भवति, से तं वावहारिए उद्धारपलिओवमे।
एएसिं पल्लाणं कोडाकोडी हवेज्ज दसगुणिता।।
तं वावहारियस्स उद्धारसागरोवमस्स एगस्स भवे परीमाणं॥२॥ __ ३७२. व्यावहारिक उद्धारपल्योपम का स्वरूप इस प्रकार है
जैसे कोई पल्य (कोठा या धान्य नापने का पात्र) उत्सेधागुल से एक योजन लम्बा, एक योजन चौडा और एक योजन ऊँचा एवं कुछ अधिक तिगुनी परिधि वाला है, वह एक पल्य है। उस पल्य को (सिर का मुंडन कराने के बाद) एक दिन, दो दिन, तीन दिन यावत् अधिक से अधिक सात दिन के उगे हुआ बालाग्रो (बाल के अग्र भाग) से इस प्रकार ठसाठस घनीभूत करके ऊपर तक भरा जाय कि फिर उन बालानों को अग्नि जला न सके,
वायु उडा. न सके, न वे सड-गल सकें, न उनका विध्वस हो सके, न उनमे दुर्गन्ध उत्पन्न - हो-सडे नही; तत्पश्चात् उसमे से प्रत्येक समय में एक-एक बालाग्र निकाला जाये तो * जितने काल में वह कोठा खाली हो, नीरज (रजरहित), निर्लेप और निष्ठित (पूर्ण खाली) * हो जाये, उतने काल को व्यावहारिक उद्धारपल्योपम कहते हैं। " ऐसे दस कोडाकोडी पल्योपमों का एक व्यावहारिक उद्धारसागरोपम होता है ॥१, २॥
VYAVAHARIK UDDHAR PALYOPAM
372. Vyavaharık Uddhar Palyopam is described as follows
For example there is a silo one yojan long, one yojan wide, one yojan high and with a circumference of a little more than three times (three yojans) That silo is filled to the brim with hair-tips grown in one day, two days, three days, up to a maximum of seven days (after shaving the head) The hair are tightly packed into a solid mass so that afterwards they cannot be burnt by fire or swept by air and are neither decayed, destroyed or putrefied. Now, Vyavaharık Uddhar. Palyopam is the total time taken in completely emptying this silo by taking out one hair-tip at a time every Samaya and sweeping it clean and free from any sand particles, slime and even odour सचित्र अनुयोगद्वार सूत्र-२
(162)
Illustrated Anuyogadvar Sutra-2
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