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________________ समयसमूहनिष्पन्न कालविभाग ____३६७. असंखेज्जाणं समयाणं समुदयसमितिसमागमेणं सा एगा आवलिय त्ति पवुच्चइ। संखेज्जाओ आवलियाओ ऊसासो। संखेज्जाओ आवलियाओ नीसासो। हट्ठस्स अणवगल्लस्स निरुवकिट्ठस्स जंतुणो। एगे ऊसास-नीसासे एस पाणु त्ति बुच्चति॥१॥ सत्त पाणूणि से थोवे सत्त थोवाणि से लवे। लवाणं सत्तहत्तरिए एस मुहुत्ते वियाहिए॥२॥ तिण्णि सहस्सा सत्त य सयाणि तेहत्तरं च उस्सासा। एस मुहुत्तो भणिओ सव्वेहिं अणंतनाणीहिं ॥३॥ एतेणं मुहत्तपमाणेणं तीसं मुहुत्ता अहोरत्ते, पण्णरस अहोरत्ता पक्खो, दो पक्खा मासो, दो मासा उऊ, तिण्णि उऊ अयणं, दो अयणाई संवच्छरे, पंच संवच्छरिए जुगे, वीसं जुगाई वाससयं, दस वाससयाई वाससहस्स, सयं वाससहस्साणं वाससयसहस्सं, चउरासीई वासयसहस्साइं से एगे पुबंगे, चउरासीतिं पुवंगसतसहस्साइं से एगे पुबे, चउरासीई पुव्वसयसहस्साइं से एगे तुडियंगे, चउरासीइं तुडियंगसयसहस्साई से एगे ॐ तुडिए, चउरासीइं तुडियसयसहस्साइं से एगे अडडंगे, चउरासीई अडडंगसयसहस्साई से एगे अडडे, चउरासीई अडडसयसहस्साइं से एगे अववंगे, चउरासीइं अववंगसयसहस्साइं से एगे अववे, चउरासीतिं अववसतसहस्साई से एगे हूहुयंगे, चउरासीइं हूहुयंगसतसहस्साइं से एगे हूहुए, एवं उप्पलंगे उप्पले पउमंगे पउमे नलिणंगे नलिणे अत्थनिउरंगे अत्थनिउरे अउयंगे अउए णउयंगे णउए पउयंगे पउए चूलियंगे चूलिया, चउरासीतिं चूलियासयसहस्साइं से एगे सीसपहेलियंगे, चउरासीतिं सीसपहेलिंगसतसहस्साई सा एगा सीसपहेलिया। एताव ताव गणिए, एयावए चेव गणियस्स विसए, अतो परं ओवमिए। ३६७. असंख्यात समयों के समुदाय समिति के संयोग से (असंख्यात समयों के समुदाय रूप संयोग से) एक आवलिका होती है। संख्यात आवलिकाओं का एक उच्छ्वास और संख्यात आवलिकाओं का एक निःश्वास होता है। सचित्र अनुयोगद्वार सूत्र-२ (154) Illustrated Anuyogadvar Sutra-2 " SS Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.007656
Book TitleAgam 32 Chulika 02 Anuyogdwar Sutra Part 02 Sthanakvasi
Original Sutra AuthorAryarakshit
AuthorAmarmuni, Tarunmuni, Shreechand Surana, Trilok Sharma
PublisherPadma Prakashan
Publication Year2001
Total Pages627
LanguagePrakrit, English, Hindi
ClassificationBook_English, Book_Devnagari, Agam, Canon, Ethics, Conduct, & agam_anuyogdwar
File Size21 MB
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