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(२) से किं तं पुवाणुपुब्बी ?
पुवाणुपुब्बी-(१) इच्छा, (२) मिच्छा, (३) तहक्कारो, (४) आवसिया, (५) य निसीहिया।
(६) आपुच्छणा, (७) य पडिपुच्छा, (८) छंदणा, (९) य निमंतणा। (१०) उवसंपया य काले, सामायारी भवे दसविहा॥१६॥ से तं पुवाणुपुची। २०६. (प्रश्न २) (समाचारी) पूर्वानुपूर्वी क्या है ? (उत्तर) पूर्वानुपूर्वी का स्वरूप इस प्रकार है
(१) इच्छाकार, (२) मिथ्याकार, (३) तथाकार, (४) आवश्यकी, (५) नैषेधिकी, (६) आपृच्छना, (७) प्रतिपृच्छना, (८) छंदना, (९) निमंत्रणा, (१०) उपसंपद्। यह दस प्रकार की समाचारी है।
206. (Question 2) What is this Purvanupurvi (in context of Samachari-anupurvi (behavioural sequence) ?
(Answer) Purvanupurvi is like this-(1) Icchakar, (2) Mithyakar, (3) Tathakar, (4) Avashyaki, (5) Naishedhiki. (6) Apricchana, (7) Pratiprichhana, (8) Chhandana, (9) Nimantrana, and (10) Upasampad. The arrangement of these types of behaviour (of ascetics) in such ascending sequential order is called purvanupurvi (ascending sequence).
This concludes the description of purvanupurvi (ascending sequence).
(३) से किं तं पच्छाणुपुब्बी ? पच्छाणुपुब्बी उवसंपया १० जाव इच्छा १। से तं पच्छाणुपुब्बी। २०६. (प्रश्न ३) पश्चानुपूर्वी क्या है ?
(उत्तर) उपसंपद् से लेकर इच्छाकार पर्यन्त व्युत्कम से स्थापना करना समाचारी सम्बन्धी पश्चानुपूर्वी है। अनुयोगद्वार सूत्र
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Illustrated Anuyogadvar Sutra
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