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There also are numerous ananupurvi (non-sequential) substances and configurations with one samayas existence.
There also are numerous inexpressible (avaktavya) substances and configurations with two samaya existence.
This concludes the description of Naigam-vyavahar naya sammat arth-padaprarupana (semantics conforming to coordinated and particularized viewpoints).
१८५. एयाए णं णेगम - ववहाराणं अट्ठपयपरूवणयाए जाव भंगसमुक्कित्तणया कज्जति ।
१८५. इस नैगम - व्यवहारनयसम्मत अर्थपदप्ररूपणता के द्वारा यावत् भंगसमुत्कीर्तनता की जाती है।
185. This Naigam-vyavahar naya sammat arthpadaprarupana (semantics conforming to coordinated and particularized viewpoints) is used to derive and state bhangsamutkirtanata (enumeration of divisions or bhangs).
(ख) भंगसमुत्कीर्तनता
१८६. से किं तं णेगम-ववहाराणं भंगसमुक्कित्तणया ?
णेगम - ववहाराणं भंगसमुक्कित्तणया अत्थि आणुपुब्बी, अत्थि अणाणुपुब्बी, अत्थि अवत्तव्यए, एवं दव्वाणुपुब्वीगमेणं कालाणुपुव्वीए वि ते चेव छवीसं भंगा भाणियव्वा जाव से तं णेगम - ववहाराण भंगसमुक्कित्तणया ।
१८६. (प्रश्न) नैगम-व्यवहारनयसम्मत भंगसमुत्कीर्तनता क्या है ?
(उत्तर) आनुपूर्वी है, अनानुपूर्वी है, अवक्तव्यक है, इस प्रकार द्रव्यानुपूर्वीवत् कालानुपूर्वी के भी २६ भंग जानना चाहिए यावत् यह नैगम - व्यवहारनयसम्मत भंगसमुत्कीर्तनता का स्वरूप है।
(B) KAAL-ANUPURVI BHANG-SAMUTKIRTANATA
186. (Question ) What is this naigam-vyavahar naya sammat bhang-samutkirtanata (enumeration of divisions or
पूर्वी प्रकरण
The Discussion on Anupurvi
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