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१७०. (प्रश्न) पश्चानुपूर्वी क्या है ?
(उत्तर) स्वयंभूरमणसमुद्र,भूतद्वीप आदि से लेकर जम्बूद्वीप पर्यन्त व्युत्क्रम से द्वीप-समुद्रों की गणना करने को मध्यलोकक्षेत्रपश्चानुपूर्वी कहते हैं। (सूत्र १६९ का विपरीत क्रम है यह।) ___ 170. (Question) What is this Tiryak-loka kshetrapashchanupurvi ? | ___ (Answer) Tiryak-loka kshetra-pashchanupurvi is like this—Arranging areas (as mentioned in aphorism 169) from the last, Svayambhuramanasamudra, to the first, Jambudveep, in reverse order. Areas arranged in such descending sequential order is called Tiryak-loka kshetrapashchanupurvi (descending area-sequence of middle worlds).
This concludes the description of Tiryak-loka kshetrapashchanupurvi (descending sequence of middle worlds).
१७१. से किं तं अणाणुपुब्बी ?
अणाणुपुबी एयाए चेव एगादियाए एगुत्तरियाए असंखेज्जगच्छगयाए सेढीए अण्णमण्णभासो दुरूवूणो। से तं अणाणुपुवी।
१७१. (प्रश्न) (मध्यलोकक्षेत्र) अनानुपूर्वी क्या है ?
(उत्तर) अनानुपूर्वी इस प्रकार है-एक से प्रारम्भ कर असंख्यात पर्यन्त की श्रेणी स्थापित कर उनका परस्पर गुणाकार करने पर निष्पन्न राशि में से आद्य और अन्तिम इन दो भंगों को छोड़कर मध्य के समस्त भंग मध्यलोकक्षेत्र अनानुपूर्वी है। ____171. (Question) What is this Tiryak-loka kshetraananupurvi ?
(Answer) Place uncountable numbers starting from one and progressively adding one. Multiply all these numbers of this arithmetic progression and subtract 2 (depicting the
ascending and descending sequence) from the result. This ॐ अनुयोगद्वार सूत्र
( २५८ )
lustrated Anuyogadvar Sutra
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