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(५) अनुगम से कालप्ररूपणा
१५४. णेगम-ववहाराणं आणुपुब्बीदव्वाइं कालतो केवचिरं होइ ?
एगदव्वं पडुच्च जहन्नेणं एगं समयं उक्कोसेणं असंखेज्जं कालं, णाणादव्वाइं पडुच्च सब्बद्धा। एवं दोण्णि वि।
१५४. (प्रश्न) नैगम और व्यवहारनयसम्मत आनुपूर्वी द्रव्य काल की अपेक्षा कितने समय तक (आनुपूर्वी द्रव्य के रूप में) रहते हैं।
(उत्तर) एक द्रव्य की अपेक्षा जघन्यतः एक समय और उत्कृष्टतः असंख्यात काल तक रहते हैं। विविध द्रव्यों की अपेक्षा नियमतः (आनुपूर्वी द्रव्यों की स्थिति) सार्वकालिक है। इसी प्रकार दोनों-अनानुपूर्वी और अवक्तव्यक द्रव्यों की भी स्थिति जानना चाहिए। (5) KSHETRANUPURVI : KAAL-DVAR ___154. (Question) In context of time for what duration do the naigam-vyavahar naya sammat anupurvi dravya (sequential substances conforming to coordinated and particularized viewpoints) exist (in the same configuration)?
(Answer) With respect to a single anupurvi (sequential) substance they exist in the same form for a minimum of one samaya and maximum of immeasurable time. With respect to many anupurvi (sequential) substances as a rule they exist always. Same is true for the remaining two (ananupurvi and avaktavya substances). (६) अनुगम से अन्तरप्ररूपणा
१५५. णेगम-ववहाराणं आणुपुब्बीदवाणमंतरं कालतो केवचिरं होति ?
तिण्णि वि एगं दव्वं पुडुच्च जहण्णेणं एगं समयं उक्कोसेणं असंखेज्जं कालं, णाणादव्वाइं पडच्च णत्थि अंतरं।
१५५. (प्रश्न) नैगम-व्यवहारनयसम्मत आनुपूर्वी द्रव्यों का काल की अपेक्षा अन्तर कितने समय का है ?
आनुपूर्वी प्रकरण
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The Discussion on Anupurvi
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