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(१) संतपयपरूवणया, (२) दव्वपमाणं, च (३) खेत्त, (४) फुसणा य।
(५) कालो, (६) अंतरं, (७) भाग, (८) भाव, (९) अप्पाबडं, चेव॥१०॥ १४९. (प्रश्न) अनुगम का क्या स्वरूप है ?
(उत्तर) अनुगम नौ प्रकार का है। यथा-(१) सत्पदप्ररूपणता, (२) द्रव्य प्रमाण, (३) क्षेत्र, (४) स्पर्शना, (५) काल, (६) अन्तर, (७) भाग, (८) भाव, और 6 (९) अल्पबहुत्व। (विशेषार्थ सूत्र १०५ के अनुसार समझना चाहिए।) KSHETRANUPURVI : ANUGAM
149. (Question) What is this anugam (systematic elaboration) ?
(Answer) Anugam (systematic elaboration) is of nine kinds-(1) satpadprarupana, (2) dravyapramana, (3) kshetra, (4) sparshana, (5) kaal, (6) antar, (7) bhaag, (8) bhaava, and (9) alpabahutva. (further details should be taken as mentioned in context of Dravyanupurvi in aphorism 105) (१) क्षेत्रानुपूर्वी : सत्पदप्ररूपणता
१५०. से किं तं संतपयपरूवणया ? णेगम ववहाराणं खेत्ताणुपुब्बीदव्वाईं किं अस्थि णत्थि ? णियमा अत्थि। एवं दोण्णि वि।
१५०. (प्रश्न) सत्पदप्ररूपणता क्या है? नैगम-व्यवहारनयसम्मत क्षेत्रानुपूर्वीद्रव्य (सत्-अस्तित्वरूप) हैं या नहीं?
(उत्तर) नियमतः (सत) हैं। इसी प्रकार दोनों-अनानुपूर्वी और अवक्तव्यक द्रव्यों के लिए भी समझना चाहिए कि वे भी नियमतः-निश्चित रूप से सत् हैं। (1) KSHETRANUPURVI : SATPADPRARUPANA-DVAR
150. (Question) What is this Satpadprarupana (exposition of words for existent things) ? Do the naigamvyavahar naya sammat kshetra-anupurvi dravya (areasequential substances conforming to coordinated and particularized viewpoints) exist or not ? अनुयोगद्वार सूत्र
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Illustrated Anuyogadvar Sutra
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