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१४४. एयाए णं णेगम-ववहाराणं अट्ठपयपरूवणयाए किं पओयणं ?
एयाए णं णेगम-ववहाराणं अट्ठपयपरूवणयाए णेगम-ववहाराणं भंगसमुक्कित्तणया कीरति।
१४४. (प्रश्न) इस नैगम-व्यवहारनयसम्मत अर्थपदप्ररूपणता का क्या प्रयोजन है ?
(उत्तर) इस नैगम-व्यवहारनयसम्मत अर्थपदप्ररूपणता द्वारा नैगम-व्यवहारनयसम्मत भंगसमुत्कीर्तनता की जाती है।
144. (Question) What is the purpose of this anupurvi (sequence) in the form of naigam-vyavahar naya sammat arth-padaprarupana (semantics conforming to coordinated and particularized viewpoints) ?
(Answer) This anupurvi (sequence) in the form of Naigam-vyavahar naya sammat arth-padaprarupana (semantics conforming to coordinated and particularized viewpoints) is used to derive and state bhangsamutkirtanata (enumeration of divisions or bhangs). क्षेत्रानुपूर्वी-भंगसमुत्कीर्तनता एवं प्रयोजन
१४५. से किं तं णेगम-ववहाराणं भंगसमुक्कित्तणया ?
णेगम-ववहाराणं भंगसमुक्कित्तणया (१) अत्थि आणुपुब्बी, (२) अत्थि अणाणुपुब्बी, (३) अत्थि अवत्तव्बए। एवं दव्वाणुपुब्बीगमेणं खेत्ताणुपुबीए वि ते चेव छब्बीस भंगा भाणियव्या, जाव से तं णेगम-ववहाराणं भंगसमुक्कित्तणया।
१४५. (प्रश्न) नैगम-व्यवहारनयसम्मत भंगसमुत्कीर्तनता क्या है ?
(उत्तर) नैगम-व्यवहारनयसम्मत भंगसमुत्कीर्तनता इस प्रकार है-(१) आनुपूर्वी है, (२) अनानुपूर्वी है, (३) अवक्तव्यक है इत्यादि द्रव्यानुपूर्वी के पाठ की तरह क्षेत्रानुपूर्वी के भी वही छब्बीस भंग होते हैं। इस प्रकार नैगमव्यवहारनयसम्मत भंगसमुत्कीर्तनता का कथन करना चाहिए। (सूत्र १०१ से १०३ के अनुसार समझें)
आनुपूर्वी प्रकरण
The Discussion on Anupurvi
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