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णेगम-ववहाराणं अट्ठपयपरूवणया तिपएसोगाढे आणुपुव्वी जाव दसपएसोगाढे आणुपुब्बी जाव संखिज्जपएसोगाढे आणुपुब्बी, असंखिज्जप सोगाढे आणुपुब्बी ।
एगपएसोगाढे अणाणुपुब्बी ।
दुपसगाढे अवत्तव्यए ।
तिपएसोगाढा आणुपुवीओ जाव दसपएसोगाढा आणुपुब्बीओ जाव संखेज्जप सोगाढा आणुपुब्बीओ, असंखेज्जपएसोगाढा आणुपुवीओ ।
एगपएसोगाढा अणाणुपुब्बीओ,
दुपएसोगाढा अवत्तव्यगाई। से तं णेगम - ववहाराणं अट्ठपयपरूवणया । १४३. (प्रश्न) नैगम-व्यवहारनयसम्मत अर्थपदप्ररूपणता क्या है ?
(उत्तर) नैगम व्यवहारनय - सम्मत अर्थपदप्ररूपणा इस प्रकार कही है - तीन आकाशप्रदेशों में अवगाढ द्रव्यस्कन्ध आनुपूर्वी है यावत् दस प्रदेशावगाढ द्रव्यस्कन्ध आनुपूर्वी है यावत् संख्यात आकाशप्रदेशों में अवगाढ आनुपूर्वी है, असंख्यात प्रदेशों में अवगाढ आनुपूर्वी है।
आकाश के एक प्रदेश में अवगाढ द्रव्य (पुद्गलपरमाणु) से लेकर यावत् असंख्यातप्रदेशी स्कन्ध तक अनानुपूर्वी है। दो आकाशप्रदेशों में अवगाढ (दो, तीन या असंख्यातप्रदेशी स्कन्ध भी) अवक्तव्य है ।
तीन आकाशप्रदेशावगाही अनेक - बहुत द्रव्यस्कन्ध आनुपूर्वियाँ हैं यावत् दसप्रदेशावगाही आनुपूर्वियाँ हैं यावत् संख्यातप्रदेशावगाढ द्रव्यस्कन्ध आनुपूर्वियाँ हैं, असंख्यात प्रदेशावगाढ द्रव्यस्कन्ध आनुपूर्वियाँ हैं ।
एक प्रदेशावगाही पुद्गलपरमाणु आदि (अनेक) द्रव्य अनानुपूर्वियाँ हैं। दो आकाशप्रदेशावगाही द्व्यणुकादि द्रव्यस्कन्ध अवक्तव्यक हैं।
यह नैगम-व्यवहारनयसम्मत अर्थपद प्ररूपणता का स्वरूप है।
NAIGAM-VYAVAHAR NAYA SAMMAT ARTH-PADAPRARUPANA
143. (Question) What is this Naigam-vyavahar naya sammat arth-padaprarupana (semantics conforming to coordinated and particularized viewpoints)?
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आनुपूर्वी प्रकरण
शमन
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