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(यह संख्या यह बताती है कि उन ६ संख्याओं को विभिन्न स्वतन्त्र क्रम में सजाने पर कितनी अनानुपूर्वियाँ बनने की संभावना है) ANANUPURVI
134. (Question) What is this Ananupurvi ?
(Answer) Place six numbers starting from one and progressively adding one. Multiply all the six numbers of this arithmetic progression and subtract 2 (depicting the ascending and descending sequences) from the result. This final result is called ananupurvi (random sequence). (This number is the total number of sequences that can be made in random order. In other words this is the sum total of all permutations and combinations of the random sequences that can be made with the given set of numbers).
This concludes the description of ananupurvi (random sequence).
विवेचन-अनानुपूर्वी का अर्थ है, जिसमें न तो अनुलोम क्रम-पूर्वानुपूर्वी हो, और न ही विलोम क्रम-पश्चानुपूर्वी हो। इन दोनों से भिन्न क्रम-स्थापना अनानुपूर्वी है। अनानुपूर्वी को समझने के लिए उदाहरण दिया है-सबसे पहले एक का अंक रखकर क्रमशः एक-एक की वृद्धि करते हुए छह संख्या तक लिखें। जैसे-१-२-३-४-५-६। फिर इनमें परस्पर गुणा करें, १ x २ - ३ ४ ४ ४ ५ x ६ = ७२०। गुणाकार की राशि से एक आदि भंग पूर्वानुपूर्वी का तथा एक अन्तिम भंग पश्चानुपूर्वी का घटा देवें, अर्थात् उक्त ७२० की राशि में से १ + १ = २ घटा देने पर ७१८ जो संख्या बनी है, इसे अनानुपूर्वी का उदाहरण समझें। आचार्य महाप्रज्ञ जी ने इसके लिए ३० कोष्टक बनाकर विस्तार पूर्वक समझाया है। (देखें, अनु.महाप्रज्ञ पृ. १०७ से ११३) ___Elaboration-Ananupurvi (random sequence) is that in which the numbers are neither in ascending order nor in descending order. Arranging numbers in an order other than these two sequences is Ananupurvi (random sequence). In order to explain ananupurvi (random sequence) the example of six numbers is given. First of all place six numbers starting from one and progressively adding one. You will get a sequence--1-2-3-4-5-6. अनुयोगद्वार सूत्र
( २१८ )
Illustrated Anuyogadvar Sutra
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