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(2) NO-AGAMATAH BHAAVA SKANDH
71. (Question) What is No-Agamatah bhaava skandh (perfect skandh without scriptural knowledge) ?
(Answer) No-Agamatah bhaava skandh (perfect skandh without scriptural knowledge) is Avashyak shrut skandh (the book of this name) made up of the aggregate of six chapters including Samayik.
This concludes the description of No-Agamatah bhaava skandh (perfect skandh without scriptural knowledge). This also concludes the description of bhaava skandh (perfect skandh).
विवेचन-इस सूत्र में समुदय (समूह), समिति (अव्यवहित मिलन) तथा समागम (परस्पर सम्बद्ध होना) इन तीनों शब्दों से यहाँ सामायिक आदि छहों आवश्यकों की एकात्मकता बताई है।
Elaboration-This aphorism reveals the oneness of the six obligatory duties (avashyak) including Samayik by using the three terms samudaya, samiti and samagam. Samudaya means collection or aggregate. Samiti means unrestricted union. Samagam means joined together or interwoven. स्कन्ध के पर्यायवाची नाम ७२. तस्स णं इमे एगढिया नाणाघोसा नाणावंजणा नामधेजा भवंति। तं जहा
गण काय निकाय खंध वग्ग रासी पुंजे य पिंड नियरे ये।
संघाय आकुल समूह भावखंधस्स पज्जाया॥५॥ से तं खंधे
७२. उस भाव स्कन्ध के विविध घोषों एवं व्यंजनों वाले एकार्थक (पर्यायवाची) नाम इस प्रकार हैं
(गाथार्थ) (१) गण, (२) काय, (३) निकाय, (४) स्कन्ध, (५) वर्ग, (६) राशि, (७) पुँज, (८) पिण्ड, (९) निकर, (१०) संघात, (११) आकुल, और (१२) समूह-ये सभी भाव स्कन्ध के पर्याय हैं।
स्कन्ध प्रकरण
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The Discussion on Skandh
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