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(Answer) Jnayak sharir-bhavya sharir vyatirikta dravya skandh (physical skandh other than the body of the knower and the body of the potential knower) is of three kinds(1) Sachitta, (2) Achitta, and (3) Mishra. (१) सचित्त द्रव्य स्कन्ध
६२. से किं तं सचित्तदव्यखंधे ?
सचित्तदव्वखंधे अणेगविहे पण्णत्ते। तं जहा-हयखंधे गयखंधे किन्नरखंधे किंपुरिसखंधे महोरगखंधे उसभखंधे। से तं सचित्तदव्वखंधे।
६२. (प्रश्न) सचित्त द्रव्य स्कन्ध क्या है?
(उत्तर) सचित्त द्रव्य स्कन्ध के अनेक प्रकार हैं। जैसे-हय (अश्व) स्कन्ध, गज (हाथी) स्कन्ध, किन्नर स्कन्ध, किंपुरुष स्कन्ध, महोरग स्कन्ध, वृषभ (बैल) स्कन्ध। इस प्रकार यह सचित्त द्रव्य स्कन्ध का स्वरूप है। (1) SACHITTA DRAVYA SKANDH ___62. (Question) What is sachitta dravya skandh (living physical skandh)? __(Answer) Sachitta dravya skandh (living physical skandh) are of many types, such as-skandh (herd) of horses, skandh (herd) of elephants, skandh (group) of kinnars, skandh (group) of kimpurush, skandh (group) of mahorags, (these three are vyantar dev or interstitial gods), skandh (herd) of bulls.
This concludes the description of sachitta dravya skandh (living physical skandh).
विवेचन-इस सूत्र में आये किन्नर, किंपुरुष और महोरग-ये तीनों व्यन्तर जाति के देव हैं। प्रज्ञापनासूत्र, पद २७ में आठ प्रकार के व्यन्तर जाति के देवों का वर्णन है। ये देव चंचल प्रकृति वाले, क्रीड़ा व कुतूहलप्रिय होते हैं। सुन्दर वस्त्र, आभूषण पहनना, फूलों की सुगन्धित मालाएँ धारण करना और मन इच्छित विविध रूप बनाना इनकी रुचि के विषय हैं। स्थानांगसूत्र के अनुसार किन्नर-असुरराज चमरेन्द्र की रथ सेना का अधिकारी है तथा किंपुरुष बलि वैराचनेन्द्र का रथ सेनाधिकारी। स्कन्ध प्रकरण
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