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आया। आकर श्रमण भगवान की दाहिनी ओर से प्रारम्भ कर तीन बार प्रदक्षिणा की। प्रदक्षिणा करके वन्दन-नमस्कार किया और वन्दन-नमस्कार करके बोला____ “हे भते । मै सूर्याभदेव आप देवानुप्रिय को वन्दन करता हूँ, नमन करता हूँ यावत्
आपकी पर्युपासना करता हूँ।" ARRIVAL OF SURYABH DEV IN THE SAMAVASARAN
66. Thereafter, Suryabh Dev accompanied by his entire family, including four chief-queens, sixteen thousand gods meant for his security, other gods and goddesses residing in the celestial abode, the entire paraphernalia and the musicians came near Shraman Bhagavan Mahavır. He went round three times starting from the right side of the Lord. He then bowed to the Lord in respect and said ___ “Reverend Sir ! I, Suryabh Dev bow to you, honour you, greet you and worship you.” भगवान द्वारा बन्दना की स्वीकृति
६७. 'सूरियाभा' इ समणे भगवं महावीरे सूरियाभं देवं एवं वयासी_ 'पोराणमेयं सूरियामा ! जीयमेयं सूरियामा ! किच्चमेयं सूरियामा ! करणिज्जमेयं सूरियाभा ! आइण्णमेयं सूरियामा ! अब्भणुण्णायमेयं सूरियामा ! जं णं भवणवइ-वाणमंतर-जोइस-वेमाणिया देवा अरहते भगवंते वंदति नमसंति, वंदित्ता नमंसित्ता तओ पच्छा साइं साइं नाम-गोत्ताइं साहिति, तं पोराणमेयं सूरियामा ! जाव अब्भणुण्णायमेयं सूरियाभा !'
६७. श्रमण भगवान महावीर ने 'हे सूर्याभ !' इस प्रकार से सबोधित कर उस सूर्याभदेव से कहा___ “हे सूर्याभ । यह पुरातन है। हे सूर्याभ । यह जीत (परम्परागत) व्यववहार है। हे सूर्याभ । यह कृत्य है। हे सूर्याभ ! यह करणीय है। हे सूर्याभ ! यह पूर्व परम्परा से आचरित है। हे सूर्याभ । यह अभ्यनुज्ञात-सर्व सम्मत है कि भवनपति, बाणव्यन्तर, ज्योतिष्क और वैमानिक देव अरिहत भगवन्तो को वन्दन करते है, नमन करते है और वन्दन-नमस्कार करने के पश्चात् वे अपने-अपने नाम और गोत्र का उच्चारण करते है। अतएव हे सूर्याभ | तुम्हारी यह सारी प्रवृत्ति पुरातन है यावत् सर्व सम्मत है।"
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सूर्याभ वर्णन
(65)
Description of Suryabh Deventer
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